आंकड़ों के वैकल्पिक स्रोतों के इस्तेमाल के महत्त्व पर बल देते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने गुरुवार को कहा कि ये नीति निर्माताओं को आर्थिक गतिविधि और विकास को समर्थन देने के लिए ‘पूर्वव्यापी निदान’ से ‘सक्रिय हस्तक्षेप’ की ओर बढ़ने में सक्षम बनाते हैं।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा आयोजित 2 दिवसीय ‘वैकल्पिक डेटा स्रोतों और नीति निर्माण के लिए अग्रणी प्रौद्योगिकियों पर राष्ट्रीय कार्यशाला’ में बोलते हुए नागेश्वरन ने कहा, ‘यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि वैकल्पिक डेटा का मूल्य इसकी मात्रा या नवीनता में नहीं है, बल्कि इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले ‘विशिष्ट’ नजरिये में है। ये डेटा स्रोत नीति निर्माताओं को ‘पूर्वव्यापी निदान’ से ‘सक्रिय हस्तक्षेप’ की ओर बढ़ने में सक्षम बनाते हैं। यह उभरते व्यवहार को पकड़ता है और आर्थिक एजेंटों के जीवंत अनुभव को दिखाता है जो पारंपरिक सूचना प्रदाता कभी कभी नहीं कर पाते हैं।’
सीईए ने आगे कहा कि शोधकर्ताओं के लिए यह महत्त्वपूर्ण है कि आंकड़ों के ढेर के बारे में समझें, जो सामने आ रहे हैं, क्योंकि इससे खपत, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और निवेश का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘वैकल्पिक आंकड़े जानबूझकर की गई सांख्यिकीय कवायद से नहीं आते, बल्कि ये हर रोज के डिजिटल इंटरैक्शन से मिलते हैं। इसमें सैटेलाइट इमेज, लोकेशन और मोबिलिटी डेटा, डिजिटल भुगतान की स्थिति, ई-कॉमर्स संबंधी लेनदेन, सोशल मीडिया गतिविधियां शामिल हैं।’
नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन के बेरी ने कहा कि परंपरागत आंकड़ों को आंकड़ों के वैकल्पिक स्रोतों से एकीकृत करने की जरूरत है। उन्होंने प्रशासनिक आंकड़ों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर जोर दिया।