आयकर विभाग ने चालू वित्त वर्ष के बाकी बचे महीनों में 2.05 लाख करोड़ रुपये नकद संग्रह सहित बकाया कर मांग के करीब 40 फीसदी की वसूली के प्रयास तेज कर दिए हैं। विभाग ने चालू वित्त वर्ष में 7.7 लाख करोड़ रुपये के बकाया कर की वसूली का लक्ष्य रखा था।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की 21 दिसंबर को हुई बैठक के बाद कर अधिकारियों को बकाया कर वसूली में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि अधिकारियों से कहा गया है कि उच्च कर मांग वाले लंबित मामलों का निपटारा करने में तेजी लाई जाए। बकाया कर मांग का तात्पर्य ऐसे कर से है जिसकी देनदारी करदाताओं की थी लेकिन उसका भुगतान नहीं किया गया है।
हालांकि बीते समय के रुझान को देखें तो बीते कई वर्षों में 10 फीसदी से भी कम सालाना बकाया कर की वसूली होती रही है। मुकदमों, कंपनियों के परिसमापन और करदाताओं का पता नहीं चलने तथा स्रोत पर कर कटौती में अंतर के कारण बकाया राशि लगातार बढ़ रही है। कुछ मामलों में अदालतों या पंचाट के स्थगनादेश के कारण भी वसूली नहीं हो पाई है।
बैठक के दौरान सीबीडीटी ने कर वसूली में आने वाली कठिनाइयों के कारणों की समीक्षा की और समयबद्ध तरीके से अड़चनों को दूर करने के खाके को अंतिम रूप दिया है। सीबीडीटी चाहता है कि कर अधिकारी बकाया से नकद संग्रह और चालू साल की कर मांग पर ज्यादा ध्यान दें ताकि वित्त वर्ष 2023 के लिए तय कर वसूली का लक्ष्य पूरा किया जा सके और कुल राजस्व संग्रह में भी सुधार हो सके।
निर्देश की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा, ‘कर अधिकारियों को जांच-परख के बाद उपयुक्त मामलों में बड़ी संख्या में वसूली अभियान चलाने के लिए कहा गया है।’ इसके अतिरिक्त देश भर में कई इकाइयों और व्यक्तिगत करदाताओं को वसूली नोटिस भेजे जाएंगे।
इस कदम को आम बजट से पहले अधिक से अधिक राजस्व जुटाने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है। यह निर्देश ऐसे समय में आया है जब केंद्र ने चालू वित्त वर्ष में अपनी प्रतिबद्धताओं पर ज्यादा खर्च करने के बावजूद राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 6.4 फीसदी तक सीमित रखने का संकल्प किया है। अप्रैल 2022 में कुल बकाया रकम 25 फीसदी बढ़ कर 19 लाख करोड़ रुपये हो गई। एक साल पहले यह रकम 15 लाख करोड़ रुपये थी। समझा जा रहा है कि कि सीडीबीटी ने बढ़ते कानूनी मामलों और इनके चक्कर में फंसे राजस्व पर चिंता जताई है।
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पिछले साल संसद के मॉनसून सत्र में वित्त पर संसद की स्थायी समिति ने भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के मामलों में फंसे ऋण पर चिंता जताई थी। भाजपा नेता जयंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली इस समिति ने बकाया कर की प्राप्ति का रास्ता साफ करने के लिए विधायी एवं प्रशासनिक कदम उठाने का सुझाव दिया था।