भारत के पाम आयल पर आयात शुल्क कम करने के बावजूद उसके और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों (आसियान) के बीच मुक्त व्यापार के लिए रुकी हुई बातचीत आगे बढने की संभावना नहीं है।
इसकी वजह यह है कि आसियान देशों के प्रमुख सदस्य इंडोनेशिया की बाजार तक पहुंच की पेशकश और थाईलैंड का संवेदनशील वस्तुओं की संख्या बढाने का प्रस्ताव भारत को मंजूर नहीं है। इन संवेदनशील वस्तुओं पर कम या शून्य डयूटी लगती है।पिछले सप्ताह भारत ने कच्चे पाम आयल पर आयात शुल्क 45 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया था। साथ ही रिफाइंड पाम आयल पर शुल्क 52.5 प्रतिशत से घटाकर 27.5 प्रतिशत कर दिया।
यह कदम बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए उठाया गया, जो बढ़कर 11 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। इन दो खाद्य तेलों पर प्रभावी डयूटी करीब 10 प्रतिशत है जो जुलाई 2006 की कीमतों पर आधारित है। व्यापार वार्ता में संबद्ध देश निश्चित अवधि के लिए संदर्भ दर के आधार पर आयात शुल्कों के बारे में बातचीत करते हैं। इस तरह से आयात शुल्क में एकतरफा कटौती को वापस लिया जा सकता है लेकिन व्यापार समझौतों में जिन दरों पर सहमति होती है वे बाध्यकारी होती हैं।
इस मामले से जुड़े जानकारों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि ताजा बातचीत में इंडोनेशिया ने कच्चे पाम आयल पर 20 प्रतिशत आयात शुल्क और रिफाइंड पाम आयल पर 30 प्रतिशत आयात शुल्क रखे जाने की मांग की। भारत ने कच्चे पाम आयल पर 43 प्रतिशत और रिफाइंड पाम आयल पर 51 प्रतिशत आयात शुल्क का प्रस्ताव किया था।सरकार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि इंडोनेशिया की मांग भारत को मंजूर नहीं है।
अलबत्ता पाम आयल के बड़े निर्यातक मलेशिया को भारत के ताजा प्रस्तावों पर कोई आपत्ति नहीं है। इंडोनेशिया का कुल 47 प्रतिशत वस्तुओं पर कर पूरी तरह समाप्त करने का प्रस्ताव भी भारत को स्वीकार नहीं है। थाईलैंड के कुछ वस्तुओं को संवेदनशील वस्तुओं की श्रेणी में रखे जाने के फैसले ने भी अवमंदक का काम किया। सूत्रों के मुताबिक, ‘भारतीय निर्यातकों को इंडोनेशिया और थाईलैंड के प्रस्तावों के चलते बाजार नहीं मिल पाएगा।
भारत के वार्ताकारों ने अपने आसियान के सहयोगियों से पुनरीक्षित सूची भेजने को कहा है। इसके आगामी दो सप्ताह में आने की उम्मीद है।अगर इसमें सुधार आता है तो इन देशों से बातचीत आगे बढ़ सकती है।’ बहरहाल आसियान के अन्य देशों ने भारत का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है।
वियतनाम, भारत के इस प्रस्ताव पर सहमत है कि चाय और काफी पर 45 प्रतिशत और पीपर पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगना चाहिए। वियतनाम ने इन तीनों कृषि उत्पादों पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क किए जाने की मांग की है। सूत्रों ने कहा कि अगर इंडोनेशिया और थाईलैंड सहमत हो जाते हैं, तो बाली में आसियान देशों के वित्तमंत्रियों की होने वाली बैठक में मई के पहले सप्ताह में बातचीत पूरी हो सकती है।
अगर ऐसा होता है तो अगले दो महीने में समझौते पर हस्ताक्षर हो जाएंगे और पहली जुलाई से इसे अमल में लाया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गेंद अब आसियान देशों के पाले में है, क्योंकि भारत इंडोनेशिया और थाईलैंड की नई मांगों को स्वीकार करने के मूड में नहीं है।