देश में खुदरा महंगाई दर सितंबर में 5.02 फीसदी रह गई, जो तीन महीने में पहली बार 6 फीसदी के नीचे आई है। सरकार को दोहरी राहत देते हुए कारखानों से उत्पादन अगस्त में 14 महीने की ऊंचाई पर पहुंच गया। इन आंकड़ों से सरकार त्योहारों से पहले आर्थिक मोर्चे पर कुछ राहत महसूस कर सकती है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) से आज जारी आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त में 6.8 फीसदी रही खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में एकदम नीचे आ गई। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से तय होने वाली इस दर में अनाज, सब्जी, परिधान एवं फुटवियर, आवास एवं सेवाओं की कीमतों नरम पड़ने के कारण गिरावट आई।
दूसरी ओर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) अगस्त में बढ़कर 10.3 फीसदी हो गया, जो जुलाई में 6.02 फीसदी ही था। आईआईपी में इजाफे की वजह पिछले साल अगस्त का कम उत्पादन तथा बिजली, खनन एवं विनिर्माण क्षेत्र में तेजी रही। अगस्त में बिजली उत्पादन में 15.3 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई और खनन में 12.3 फीसदी तथा विनिर्माण में 9.3 फीसदी वृद्धि हुई।
पिछले हफ्ते ही मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रीपो दर सर्वसम्मति से 6.5 फीसदी पर बरकरार रखी। केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2024 में मुद्रास्फीति का अपना अनुमान भी 5.4 फीसदी पर बरकरार रखा। मगर उसने वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 6.2 फीसदी से बढ़ाकर 6.4 फीसदी कर दिया। तीसरी तिमाही के लिए उसने मुद्रास्फीति अनुमान 5.7 फीसदी से घटाकर 5.6 फीसदी रखा था।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था, ‘भू-राजनीतिक तनाव के कारण ऊर्जा एवं खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तेजी और प्रतिकूल मौसम स्थितियों के कारण मुद्रास्फीति के मोर्चे पर अनिश्चितता बनी हुई है। हम मुद्रास्फीति की बदलती स्थितियों पर नजर रख रहे हैं। मैं फिर कहूंगा कि मुद्रास्फीति के लिए हमारा लक्ष्य 4 फीसदी है, 2 से 6 फीसदी नहीं।’
खाद्य मुद्रास्फीति भी सितंबर में तीन महीने के सबसे कम आंकड़े 6.56 फीसदी पर लुढ़क आई, जो अगस्त में 9.94 फीसदी थी। सब्जियों की कीमतों में तेजी के कारण ही खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी आई थी, जिनकी कीमत एकाएक लुढ़क गई।
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सब्जियों की मुद्रास्फीति घटकर 3.4 फीसदी रह गई। सितंबर में दूध (6.9 फीसदी), अनाज (10.95 फीसदी) एवं मसाले (23.06 फीसदी) और तैयार भोजन (4.96 फीसदी) की महंगाई कम हुई जबकि फलों (7.3 फीसदी), चीनी (4.52 फीसदी) और अंडे (6.42 फीसदी) एवं मांस (4.11 फीसदी) की कीमतों में तेजी दर्ज की गई।
मुख्य मुद्रास्फीति (खाद्य एवं ईंधन को छोड़कर) सितंबर में 5 फीसदी से नीचे आ गई क्योंकि परिधान एवं फुटवियर (4.61 फीसदी), आवास (3.95 फीसदी) और मनोरंजन (3.40 फीसदी), शिक्षा (5.26 फीसदी) जैसी सेवाओं, स्वास्थ्य (5.91 फीसदी) और परिवहन (2.28 फीसदी) की महंगाई में गिरावट देखी गई।
सितंबर में ईंधन की कीमतों में भी 0.11 फीसदी गिरावट आई। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि व्यापक आधार पर मुद्रास्फीति में क्रमिक नरमी दिख रही है, लेकिन असमान मॉनसून, दलहन एवं तिलहन जैसी महत्त्वपूर्ण खरीफ फसलों की बोआई में देरी तथा भंडार कम रह जाने के कारण खाद्य मुद्रास्फीति अब भी ऊंची बनी हुई है।