विश्व बैंक समूह द्वारा अगली कारोबार सुगमता रैंकिंग रिपोर्ट प्रकाशित न करने के फैसले के एक दिन बाद आज एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इस कदम से भारत के चल रहे सुधारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जो कारोबारी माहौल सुधारने के लिए किए जा रहे हैं।
उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव गिरिधर अरमाने ने कहा कि किसी देश का आकर्षण सामान्यतया उस देश में किए गए निवेश से जुड़ा होता है और भारत के मामले में पिछले 2 साल से लगातार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ रहा है।
अरमाने ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा, ‘भारत की अर्थव्यवस्था और उद्योग पर मुझे लगता है कि इसका कोई असर नहीं होगा। स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अनुपालन बोझ घटाने की बात कही थी और 15,000 अनावश्यक अनुपालनों को तार्किक बनाकर, खत्म कर और प्रक्रिया के ऑटोमेशन से कम किया गया है। नागरिकों का जीवन सुगम करने और कारोबार सुगमता के लिए हम अपना कार्यक्रम जारी रखेंगे, और विश्व बैंक इसकी रेटिंग करता है, या नहीं इसका कोई असर नहीं होगा।’
चीन के वरीयता क्रम को बढ़ाने के लिए 2017 में कुछ शीर्ष बैंक अधिकारियों द्वारा कथित रूप से दबाव बनाने के कारण डेटा अनियमितताओं की जांच के बाद विश्व बैंक ने रेटिंग बंद करने का निर्णय लिया। एक सरकारी सूत्र ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा कि विश्व बैंक समूह द्वारा दुनिया के देशों में कारोबार सुगमता रैंकिंग रिपोर्ट का प्रकाशन बंद करने के फैसले ने चीन की धोखाधड़ी का पर्दाफाश कर दिया है। इससे वैश्विक कंपनियों को अपना विनिर्माण स्थल भारत में स्थानांतरित करने के काम में तेजी आएगी। सूत्र ने कहा, ‘भारतीय डेटा में कोई अनियमितता नहीं पाई गई। भारत दुनिया के लिए पसंदीदा निवेश गंतव्य बना हुआ है।’