औद्योगिक उत्पादन की वृद्घि दर अक्टूबर में मामूली घटकर आठ माह के निचले स्तर 3.2 फीसदी पर रही, जो सितंबर में 3.3 फीसदी थी। त्योहारी मौसम के बावजूद पूंजीगत वस्तुओं और वाहन क्षेत्र के कम उत्पादन से विनिर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन कमतर रहा।
पिछले साल कोविड संबंधित लॉकडाउन में ढील के बाद उत्पादन बढऩे की वजह से आधार सामान्य होने के कारण भी औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) की वृद्घि सुस्त पड़ी है। अक्टूबर 2020 में आईआईपी 4.5 फीसदी बढ़ा था जबकि सितंबर 2020 में 1 फीसदी की तेजी आई थी।
हालांकि सितंबर 2021 के आईआईपी आंकड़े को संशोधित कर 3.1 फीसदी से बढ़ाकर 3.3 फीसदी कर दिया गया। ऐसे में अगर अस्थायी आंकड़ों से तुलना करें तो सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में उद्योगों का उत्पादन बढ़ा है।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में 8.4 फीसदी वृद्घि के बाद भी आंकड़ों से व्यापक सुधार की उम्मीद नहीं जगती है। चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीने में औद्योगिक उत्पादन 20 फीसदी बढ़ा है, जबकि पिछले साल समान अवधि में इसमें 17.3 फीसदी का संकुचन आया था। पिछले साल कम आधार की वजह से पहली तिमाही में इसमें जोरदार उछाल देखी गई।
ई-वे बिल जारी करने के आंकड़ों को देखें तो नवंबर में औद्योगिक गतिविधियों में और नरमी आ सकती है। नवंबर में ई-वे बिल अक्टूबर के 7.45 करोड़ से घटकर 6.15 करोड़ रह गए। इसका मतलब है कि तीसरी तिमाही के पहले दो महीनों में औद्योगिक गतिविधियों की वृद्घि नरम हुई है और तीसरी तिमाही में इसका असर जीडीपी के आंकड़ों पर भी दिख सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने पहले ही जीडीपी वृद्घि का अनुमान 6.8 फीसदी से घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया है।
अक्टूबर में खनन और बिजली उत्पादन में इजाफा हुआ है जबकि विनिर्माण क्षेत्र की रफ्तार नरम पड़ी है। विनिर्माण के अंतर्गत वाहनों के उत्पादन में गिरावट जारी रही। इस क्षेत्र में अक्टूबर में 12.6 फीसदी की गिरावट आई जो पिछले महीने की 9 फीसदी गिरावट से अधिक है। इसके साथ ही परिवहन उपकरणों के उत्पादन में भी 15.6 फीसदी की गिरावट आई है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘वाहन क्षेत्र में आपूर्ति पक्ष की समस्या के कारण अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े कम रहे। इसके साथ ही ज्यादा आधार का भी असर पड़ा है।’
पूंजीगत और उपभोक्ता वस्तुओं विशेषकर ड्यूरेबल्स के उत्पादन में ज्यादा उम्मीद नहीं दिखती। अक्टूबर में पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन 1.1 फीसदी घटा है जबकि अक्टूबर में यह 2.4 फीसदी बढ़ा था। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के उत्पादन में 6.1 फीसदी की गिरावट आई। नायर ने कहा कि ये आंकड़े टिकाऊ सुधार के स्पष्ट संकेत नहीं देते हैं।
