सौ करोड़ रुपये या उससे अधिक के पूंजीगत व्यय के खर्च के लक्ष्य वाले बड़े केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) ने वर्ष 2022-23 (वित्त वर्ष 23) के शुरुआती 11 महीनों के सालाना संशोधित अनुमानों के 85 फीसदी 6.46 लाख करोड़ रुपये के स्तर को प्राप्त कर लिया है। यह जानकारी वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने दी।
इस पूंजीगत व्यय के लक्ष्य में पांच विभागों के 54 सीसीएसई हैं। तुलना करने पर पता चला कि सीपीएसई बीते वित्त वर्ष (2021-22 या वित्त वर्ष 22) में इस अवधि के दौरान केवल 79.28 फीसदी 5.95 लाख करोड़ का उपयोग कर पाया था। हालांकि वित्त वर्ष 22 की पूर्ण अवधि के दौरान संशोधित अनुमान का 96 फीसदी ही हासिल हो पाया था।
केंद्र के पूंजीगत व्यय से अधिक इन सीपीएसई का पूंजीगत व्यय अधिक रहा। वित्त वर्ष 23 में अप्रैल-फरवरी के दौरान सीपीएसई ने 5.5 लाख करोड़ रुपये खर्च किए थे और उन्होंने वित्त वर्ष 22 की इस आलोच्य अवधि में 4.7 लाख करोड़ रुपयों का निवेश किया था। अधिकारी के अनुसार, ‘’54 सीपीएसई के संशोधित अनुमान 2.91 करोड़ रुपये से घटकर 2.41 करोड़ रुपये हुआ। उम्मीद यह है कि वे इस वर्ष के अंत तक संशोधित अनुमान के 96-97 फीसदी लक्ष्य को ही हासिल कर पाएंगे।’’
अभी तक सीपीएसई में पूंजीगत व्यय का नेतृत्व पेट्रोलियम सीपीएसई और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने किया है। संशोधित अनुमान 6 फीसदी बढ़ाए जाने के बावजूद एनएचएआई अपने लक्ष्य का 104 फीसदी हासिल कर पाई है।
कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की सबसे बड़ी उत्पादक कंपनी ऑयल ऐंड नेचुरल गैस कारपोरेशन बजट में आबंटित सालाना 29,950 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय में से केवल 82 फीसदी को ही प्राप्त कर पाई है।
इंडियन ऑयल कारपोरेशन (इंडियन ऑयल) ने महामारी के बाद पाइपलाइन परियोजनाओं और संशोधन की अपनी क्षमता में इजाफा करने के कारण सालाना संशोधित अनुमान 17,130 करोड़ रुपये का दोगुना हासिल किया। इस क्रम में हिंदुस्तान पेट्रोलियम कंपनी (एचपीसीएल) भी संशोधित अनुमान 7,163 करोड़ रुपये के 200 फीसदी के लक्ष्य को हासिल कर चुकी है।