facebookmetapixel
स्टील की कीमतें 5 साल के निचले स्तर पर, सरकार ने बुलाई ‘ओपन हाउस’ मीटिंगईलॉन मस्क की Starlink भारत में उतरने को तैयार! 9 शहरों में लगेगा इंटरनेट का नया नेटवर्कट्रंप ने कनाडा के साथ व्यापार वार्ता तोड़ी, TV ad के चलते किया फैसला‘ऐड गुरु’ पियूष पांडे का 70 साल की उम्र में निधन, भारत के विज्ञापन जगत को दिलाई नई पहचानसोने-चांदी की कीमतों में आई नरमी, चेक करें MCX पर आज का भावMaruti और Mahindra पर दांव, Tata पर सतर्क – Auto sector पर मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट चर्चा मेंट्रंप 2028 में फिर बनेंगे अमेरिकी राष्ट्रपति? स्टीव बैनन ने दिया बड़ा बयानRailway Company देने जा रही है बड़ा डिविडेंड! जानिए कब है रिकॉर्ड डेट और कैसे मिलेगा फायदा₹6,500 लगाकर ₹8,400 तक कमाने का मौका! निफ्टी पर HDFC Securities ने सुझाई बुल स्प्रेड रणनीतिDelhi Weather Update: दिल्ली में ‘बहुत खराब’ AQI, स्मॉग के बीच दिल्ली में हो सकती है कृत्रिम बारिश

त्योहारी कारोबार पर कोरोना की मार

Last Updated- December 15, 2022 | 7:58 AM IST

कारोबार को करीब ढाई महीने तक चौपट रखने वाले कोरोनावायरस की मार इस साल त्योहारी कारोबार पर भी पड़ सकती है। रक्षाबंधन, दशहरा, दीवाली जैसे बड़े त्योहारों के लिए सौदे अप्रैल से ही होने लगते हैं। लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण सौदे नहीं हो पाए। कोरोनावायरस के बढ़ते मामले और आर्थिक मंदी के बीच कमजोर बिक्री के खटके से कारोबारी अब सौदे करने के बहुत इच्छुक भी नहीं दिखते। दूसरा खटका चीन के साथ सीमा पर हुए टकराव के कारण भी है। माना जा रहा है कि इस बार त्योहार पर चीनी माल की किल्लत रह सकती है और उनका कारोबार भी मंदा हो सकती है।
चीन से त्योहारों के लिए राखी, उपहार, भगवान की मूर्तियों, लड़ी, झालर, दिये से लेकर कटलरी सामान, गुब्बारे, पिचकारी तक बहुत कुछ आयात किया जाता है। कारोबारियों का कहना है कि देश में त्योहारों पर 6 से 8 लाख करोड़ रुपये तक का कारोबार होता है, जिसमें चीनी सामान की हिस्सेदारी कम से कम 15-20 हजार करोड़ रुपये है। इसमें 5-6 हजार करोड़ रुपये लाइटिंग और सजावटी सामान, 3-3.5 हजार करोड़ रुपये होली के सामान, 2-2.5 हजार करोड़ रुपये मूर्तियों और 1000-1,200 करोड़ रुपये राखी के कारोबार में मिलते हैं। मगर इस बार तस्वीर कुछ और ही है।
कोरोनावायरस और सीमा पर तनाव की सबसे ज्यादा चोट दिल्ली के कारोबारियों को झेलनी पड़ सकती है क्योंकि यहां के बाजारों से देश भर में त्योहारी माल की आपूर्ति की जाती है। सदर बाजार के राखी कारोबारी विमल जैन ने बताया कि रक्षाबंधन अगस्त में आता है मगर तैयारी अप्रैल से शुरू हो जाती है और जून तक काफी सौदे हो जाते हैं। मगर इस बार लॉकडाउन के कारण तैयारी ही शुरू नहीं हुई। बाजार भी लगभग बंद है, जिसकी वजह से जैन को लग रहा है कि राखी का सबसे बुरा कारोबार इसी बार होगा।
भगीरथ प्लेस में लाइटिंग उपकरणों के कारोबारी और आयातक अनिल मल्होत्रा ने बताया कि जून में चीन से लाइटिंग का सामान आना शुरू हो जाता था मगर इस बार सौदे ही नहीं हो पाए तो सामान कहां से आए। हालांकि लॉकडाउन खुलने के बाद उन्हें सौदे होने की उम्मीद है मगर आम जनता की तंग हालत देखकर कारोबारी ज्यादा सामान मंगाने से डर रहे हैं क्योंकि बिक्री नहीं हुई तो घाटा उठाना पड़ेगा।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल को त्योहारी कारोबार पर वायरस की मार निश्चित लग रही है। उन्होंने कहा कि चीनी राखी, लाइटिंग उपकरण, मूर्तियों और दिये जैसे सामान का कारोबार इस साल काफी घट सकता है। सीमा पर टकराव के कारण कैट ने चीनी सामान का बहिष्कार भी शुरू कर दिया है। खंडेलवाल ने कहा कि हर साल चीन से 5 लाख करोड़ रुपये का सामान आयात होता है, जिसमें वह कम से कम 1 लाख करोड़ रुपये की कमी लाना चाहते हैं। दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा ने कहा कि कोरोनावायरस की मार के साथ ही कारोबारियों का पिछला भुगतान अटकने का असर भी कारोबार पर पड़ेगा। पुरानी दिल्ली में त्योहारी सामान के एक थोक कारोबारी ने बताया कि होली के सामान की बिक्री से 15 लाख रुपये से अधिक का उसका जो भुगतान आना था, वह अटक गया। यही हाल ज्यादातर थोक कारोबारियों का है। बकाया अटकने का असर राखी के कारोबार पर भी पड़ेगा।

First Published - June 26, 2020 | 11:50 PM IST

संबंधित पोस्ट