प्रमुख क्षेत्र का उत्पादन जुलाई में मामूली सुस्त होकर 8 प्रतिशत पर आ गया, जो जून में 8.3 प्रतिशत था। प्रमुख क्षेत्र में 8 प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्रों के आंकड़ों को शामिल किया जाता है। कम आधार के असर और माह के दौरान सभी 8 क्षेत्रों में धनात्मक वृद्धि के बीच यह वृद्धि दर आई है।
पिछले साल जुलाई में प्रमुख क्षेत्र की वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत थी। जून 2023 में वृद्धि दर संशोधित होकर 8.3 प्रतिशत रही थी, जबकि पहले 8.2 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया था। गुरुवार को उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक उर्वरकों का उत्पादन 3.3 प्रतिशत, स्टील का 13.5 प्रतिशत, रिफाइनरी उत्पादों का 3.6 प्रतिशत, और सीमेंट का उत्पादन 7.1 प्रतिशत बढ़ा है, जो पिछले महीने से सुस्त वृद्धि है।
वहीं कोयले की वृद्धि दर 14.9 प्रतिशत, प्राकृतिक गैस की 8.9 प्रतिशत और बिजली की 6.9 प्रतिशत रही है, जिसने जुलाई में वृद्धि को गति दी है। कच्चे तेल के उत्पादन में मई 2022 से 14 महीने में पहली बार 2.1 प्रतिशत की धनात्मक वृद्धि दर्ज की गई है।
बैंक आफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि जुलाई में ज्यादातर प्रमुख क्षेत्रों में तेजी रही, जिसमें कोयले के उत्पादन में लगातार तेजी बनी हुई है। साथ ही बिजली उत्पादन भी बढ़ा है। इससे स्थिर कारोबारी गतिविधियों के संकेत मिलते हैं। वहीं जिन इलाकों में बारिश नहीं हुई है, वहां कृषि में डीजल जेनरेटरों का भी इस्तेमाल बढ़ा है।
उन्होंने कहा ‘स्टील और सीमेंट दोनों के उत्पादन में बेहतर वृद्धि दर रही है। सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय बढ़ाने से बुनियादी ढांचा गतिविधियों में इनकी मांग बढ़ी है। जून में मॉनसून में देरी के कारण निर्माण कार्य जारी रहा और इसकी वजह से खासकर सीमेंट की कुछ मांग बढ़ी है। मॉनसून के दौरान सीमेंट की मांग कम हो जाती है।’
इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री सुनील के सिन्हा ने कहा कि जुलाई में प्रमुख क्षेत्र को समर्थन करीब सभी उपक्षेत्रों में वृद्धि के कारण हुआ है। मई 2022 के बाद पहली बार इस तरह की सालाना वृद्धि दर्ज की गई है। अगर हम महामारी के पहले के फरवरी 2020 के स्तर से तुलना करें तो प्रमुख क्षेत्र का उत्पादन 13.8 प्रतिशत ज्यादा है और यह महामारी के पहले के तुलना में नवंबर 2021 से ही लगातार तेज बना हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘कुल मिलाकर बुनियादी ढांचा उद्योगों में रिकवरी तेज हो रही है और इससे निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय की संभावना है, जो अभी नीचे है।’ औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में प्रमुख क्षेत्र का अधिभार 40.27 प्रतिशत होता है। इस तरह से सूचकांक पर इसका उल्लेखनीय असर होता है। आईआईपी वृद्धि की उम्मीद जताते हुए सबनवीस ने कहा कि जुलाई में आईआईपी वृद्धि 5 से 6 प्रतिशत रह सकती है।