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अंतिम स्तर पर महंगाई बने रहने की चिंता ने MPC सदस्यों को रखा सतर्क

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘इस मोड़ पर मौद्रिक नीति सतर्क रहनी चाहिए और हमें यह नहीं मानना चाहिए कि महंगाई दर के के मोर्चे पर काम खत्म हो गया है।’

Last Updated- February 22, 2024 | 10:39 PM IST
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भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के 6 सदस्यों में से ज्यादातर ने महंगाई दर से बचाव के कदम पीछे न खींचने का फैसला किया। गुरुवार को जारी फरवरी की मौद्रिक नीति के बैठक के ब्योरे से पता चलता है कि सदस्यों का मानना था कि 4 प्रतिशत महंगाई दर का लक्ष्य हासिल करने की चुनौतियां बनी हुई हैं।

नीतिगत दर तय करने वाली समिति ने रीपो रेट में कोई बदलाव न करते हुए उसे लगातार छठी बैठक में 6.5 प्रतिशत बरकरार रखा है। साथ ही समावेशी रुख की वापसी बरकरार रखी गई है। जयंत वर्मा को छोड़कर सभी सदस्यों ने इन दोनों प्रस्तावों के पक्ष में मतदान किया।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘इस मोड़ पर मौद्रिक नीति सतर्क रहनी चाहिए और हमें यह नहीं मानना चाहिए कि महंगाई दर के के मोर्चे पर काम खत्म हो गया है।’

दास ने कहा, ‘हमें अंतिम स्तर पर महंगाई में सफलतापूर्वक कमी लाने की प्रतिबद्धता पर बने रहने की जरूरत है, जो मुश्किल हो सकती है। केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत बदलाव करने की उम्मीद के कारण बाजार में तेजी है। इससे अब तक महंगाई के मोर्चे पर मिली सफलता कमजोर पड़ सकती है।’ उन्होंने कहा कि लंबी अवधि तक उच्च वृद्धि दर बनाए रखने के लिए कीमतों में और वित्तीय स्थिरता जरूरी है।

डिप्टी गवर्नर एमडी पात्र ने भी समावेशी और टिकाऊ विकास के लिए महंगाई दर के महत्त्व पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘निजी खपत जीडीपी का 57 प्रतिशत है। इस पर दबाव है क्योंकि खाद्य महंगाई अभी भी ज्यादा है। खासकर ग्रामीण इलाकों में ऐसी स्थिति है।’ पात्र ने कहा कि महंगाई कम होने और इसके लक्ष्य के नजदीक बने रहने पर ही नीतिगत ढील दी जा सकती है। केंद्रीय बैंक ने महंगाई दर 4 प्रतिशत रखने का लक्ष्य तय किया है, जिसमें 2 प्रतिशत की घट बढ़ हो सकती है।

एक और आंतरिक सदस्य राजीव रंजन ने सचेत करते हुए कहा कि अगर बाजार यह देखता है कि दर में कटौती होगी तो तेजी आ सकती है, जिससे महंगाई को रोकना और कठिन हो जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘भारत सहित पूरी दुनिया में बाजार नीति निर्माताओं से आगे चल रहा है।’ बाहरी सदस्य जयंत वर्मा ने नीतिगत दर में 25 आधार अंक की कटौती के साथ तटस्थ रुख अपनाने का पक्ष लिया और कहा कि वास्तविक ब्याज दरें अधिक हो गई हैं।

उन्होंने कहा, ‘2024-25 में महंगाई दर औसतन 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। ऐसे में मौजूदा 6.5 प्रतिशत नीतिगत दर के मुताबिक वास्तविक दर 2 प्रतिशत रहेगी। मुझे नहीं लगता कि इतनी उच्च वास्तविक दर की जरूरत है क्योंकि महंगाई दर 4 प्रतिशत लक्ष्य के करीब है।’

वर्मा ने कहा कि वृद्धि को लेकर निराशा यह मान लेने में है कि महामारी के कारण अर्थव्यवस्था को स्थायी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा, ‘इसके विपरीत सभी संकेतकों से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था मजबूत है और यहां तक कि महामारी में बुरी तरह प्रभावित क्षेत्र भी वापसी कर रहे हैं।’

एक अन्य बाहरी सदस्य ने भी कहा कि कुल मिलाकर यह स्वीकार किया जा रहा है कि महंगाई दर लक्ष्य की ओर बढ़ रही है।

उन्होंने कहा, ‘मैं यथास्थिति बनाए रखने के पक्ष में मत दे रही हूं, हासांकि वित्त वर्ष 2025 में प्रमुख महंगाई 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान हमें अवसर दे रहा है। बाद में महंगाई दर 5 प्रतिशत होने की संभावना आधार के असर के कारण है और खाद्य कीमतें बढ़ने का अनुमान है। लेकिन बाद को लेकर बहुत अनिश्चितता है।’

बाहरी सदस्य शशांक भिड़े ने कहा कि खाद्य महंगाई अभी बढ़ी हुई है और वृद्धि की गति मजबूत है, ऐसे में महंगाई दर लक्ष्य के मुताबिक टिकाऊ स्तर पर बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।

First Published - February 22, 2024 | 10:39 PM IST

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