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सस्ते तेल ने बढ़ाया रूस से भारत का आयात बिल, 9 अरब डॉलर से 35 अरब डॉलर पहुंचा कारोबार

हाल के समय में रूस भारत का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है, आयात में कई गुना उछाल मगर निर्यात की है सुस्त रफ्तार

Last Updated- February 23, 2023 | 10:28 PM IST
Russia move to ban petroleum exports won't extend to crude, officials say रूस के प्रोसेस्ड पेट्रोलियम के निर्यात पर प्रतिबंध का भारत पर असर नहीं

रूस-यूक्रेन युद्ध के एक साल हो गए हैं और इस दौरान मॉस्को भारत का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है, जो वित्त वर्ष 2022 में 25वें स्थान पर था।

वा​णिज्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस दौरान भारत और प​श्चिमी देशों के प्रतिबंधों का सामना कर रहे रूस के बीच अप्रैल-दिसंबर के दौरान व्यापार बढ़कर 35 अरब डॉलर पहुंच गया। इससे पहले समान अवधि में दोनों देशों के बीच 9.1 अरब डॉलर का कारोबार हुआ था।

रूस-भारत के बीच व्यापार इसलिए बढ़ा है क्योंकि अप्रैल-दिसंबर के दौरान भारत ने रूस से पांच गुना ज्यादा 32.81 अरब डॉलर मूल्य के कच्चे तेल का आयात रियायती दामों पर किया है। भारत ने कुल आयातित कच्चे तेल का 17.1 फीसदी रूस से आयात किया, जो अब भारत का इराक तथा सऊदी अरब के बाद तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आपूर्तिकर्ता बन गया है और इस मामले में संयुक्त अरब अमीरात को पीछे छोड़ दिया है।

तेल के अलावा भारत रूस से फर्टिलाइजर, कोयला, सोयाबीन तथा सूरजमुखी के तेल का भी आयात करता है लेकिन कुल आयात में कच्चे तेल की हिस्सेदारी करीब दो-तिहाई रही है।

प​श्चिमी देशों ने रूस से तेल नहीं खरीदने और G7 देशों द्वारा तेल के दाम तय करने के मकसद में शामिल होने को लेकर भारत पर काफी दबाव बनाया था। हालांकि भारत ने देश के नागरिकों के हित में सस्ते कच्चे तेल के आयात के अपने अ​धिकारों का लगातार बचाव किया।

पिछले साल दिसंबर में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत ने पिछले 9 महीनों में रूस से जितना तेल खरीदा है वह यूरोपीय देशों द्वारा की गई खरीद का महज छठा हिस्सा है।

जर्मनी के विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक के साथ व्यापक बातचीत करने के बाद मीडिया से बातचीत में, जयशंकर ने यह भी कहा था कि भारत को कुछ और करने के लिए कहते समय यूरोप अपनी ऊर्जा जरूरतों को प्राथमिकता देने के लिए विकल्प नहीं बना सकता है। उन्होंने कहा था कि भारत और रूस के बीच ट्रेड बास्केट का विस्तार यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत से बहुत पहले शुरू हो गया था।

निर्यात की धीमी रफ्तार

उम्मीद की जा रही थी कि प्रतिबंधों का सामना कर रहा रूस अपनी कई आवश्यक उपभोक्ता उत्पादों की जरूरतों के लिए भारत पर निर्भर रहेगा और देश से निर्यात उतना उत्साहजनक नहीं रहा। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में रूस को किए जाने वाले निर्यात में 13.5 फीसदी की कमी आई और यह 2.2 अरब डॉलर रहा। लेकिन मार्च और अप्रैल में निर्यात घटने के बाद इसमें धीरे-धीरे सुधार आने लगा लेकिन वृद्धि की रफ्तार धीमी रही। इसकी वजह लॉजिस्टिक्स और भुगतान संबंधी चुनौतियां भी रहीं। भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक सौदों के निपटान के लिए कई नए तंत्र की घोषणा की लेकिन यह जोर नहीं पकड़ पाया। रुपये में व्यापार में तेजी आने पर रूसी बाजार में भारत की बड़ी हिस्सेदारी हो सकती है।

एक वरिष्ठ सरकारी अ​धिकारी ने कहा कि इसमें थोड़ा समय लगेगा क्योंकि निर्यातक को प​श्चिमी देशों से दूसरे प्रतिबंधों को खतरा सता रहा है। उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा इस तरह के सौदों के निपटान के लिए बैंकों का आंतरिक तंत्र अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है।’

आयात बढ़ने और निर्यात कम रहने से रूस के साथ भारत का व्यापार घाटा अप्रैल-दिसंबर के दौरान बढ़कर 30.61 अरब डॉलर हो गया जो एक साल पहले 4.03 अरब डॉलर था।

निर्यातकों का संगठन फियो (Federation of Indian Export Organisations) के महानिदेशक और मुख्य कार्या​धिकारी अजय सहाय ने कहा कि भारत-रूस के बीच व्यापार घाटा चीन की तरह चिंता का सबब नहीं है क्योंकि भारत रूस से गैर-जरूरी चीजों का आयात नहीं कर रहा है।

सहाय ने कहा, ‘रूस के मामले में कच्चा तेल रियायती/प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उपलब्ध है। इसकी वजह से हम मुद्रास्फीति से भी लड़ने में सक्षम हुए हैं। रूस से आयातित काफी मात्रा में कच्चे तेल को परिशो​धित करके नीदरलैंड, यूरोपीय संघ तथा अमेरिका को निर्यात किया गया है। भारत के परिशो​धित तेल का निर्यात भी इस दौरान बढ़ा है।’

First Published - February 23, 2023 | 10:28 PM IST

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