बढ़ती मांग के बावजूद स्टील औैर सीमेंट क्षेत्र की कंपनियां लंबे समय से उत्पादन क्षमता में खास वृद्धि नहीं कर पाईं है।
हालांकि दो-तीन माह पहले इस क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों की ओर से उत्पादन क्षमता में व्यापक वृद्धि की बात कही गई थी, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया। जानकारों के मुताबिक, मांग बढ़ने और उत्पादन सीमित रहने की वजह से भी सीमेंट और स्टील की कीमतों में उछाल आया है।
कंपनियों का कहना है कि परियोजना स्थापित करने के लिए लौह-अयस्क माइंस व जमीन अधिग्रहण में आ रही समस्या के कारण योजना पर तेजी से काम नहीं हो रहा है। स्टील कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि कच्चे माल की उपलब्धता के बगैर उत्पादन में वृद्धि की बात सोचना भी बेमानी होगी।
दुनिया की प्रमुख स्टील निर्माता कंपनी पोस्को की ओर से उड़ीसा में 120 लाख टन क्षमता वाले प्लांट की परियोजना भी धीमी गति से चल रही है, क्योंकि रेगुलेटरी की ओर से क्लियरेंस मिलने में भी काफी समय लग गया।
कई सीमेंट कंपनियां, जो अपना विस्तार करना चाहती हैं, उन्हें भूमि अधिग्रहण, चूना पत्थर और अन्य जरूरी कच्चे माल की उपलब्धता की तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यही वजह है कि लंबित परियोजनाओं पर तेजी से काम नहीं हो पा रहा है।
सीमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एच. एम बांगर के मुताबिक, इस वर्ष 320 लाख टन उत्पादन क्षमता बढ़ने का अनुमान है, जबकि पिछले चार सालों के दौरान उत्पादन क्षमता में 310 लाख टन की बढ़ोतरी हुई है।