नकदी की किल्लत संभवतः खत्म होती दिख रही है। कारोबारियों का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक वैरिएबल रेट रीपो ऑक्शन के जरिये बैंकों को सहारा देना चाहता है। नकदी संकट ऐसे समय में समाप्त होने की गुंजाइश बन रही है जब अगले पांच दिनों के दौरान भारी निकासी होनी तय है ।
अग्रिम कर और जीएसटी भुगतान होने के कारण दिसंबर में 4 लाख करोड़ रुपये कंपनियों एवं विभिन्न इकाइयों के हाथों से निकलने का अनुमान है। बॉन्ड बाजार के कारोबारियों को लगता है कि वैरिएबल रेट रिवर्स रीपो और सरकारी व्यय के माध्यम से नकदी संकट की किल्लत से पार पाया जा सकता है। दिसंबर में 59,530 करोड़ रुपये मूल्य के बॉन्ड भुनाए जाने का कार्यक्रम है।
पीएनबी गिल्ट्स में वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष विजय शर्मा कहते हैं, ‘बाजार को लगता है कि आरबीआई ने वीआरआर आयोजित कर नकदी की कमी दूर करने की दिशा में संकेत दिए हैं। मुझे लगता है कि नकदी की कमी का भीषण संकट अब यहां से समाप्त होता दिख रहा है। अब हर एक दिन हमें नकदी की हालत स्थिर और बेहतर होती नजर आ रही है। इसका एक मतलब यह भी हो सकता है की दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला अब समाप्त हो गया है।’
कारोबारियों का कहना है कि अग्रिम कर भुगतान की वजह से लगभग 2 लाख करोड़ रुपये कंपनियों के जमा भंडार से निकाल सकते हैं। इतना ही नहीं, जीएसटी भुगतान के माध्यम से भी लगभग 1.7 लाख करोड़ रुपये बाहर जा सकते हैं।
चालू तिमाही में की नकदी की स्थिति कमजोर रही है। भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार और रविवार को क्रमशः 59,260 करोड़ रुपये और 1.5 लाख करोड़ रुपये बैंकिंग तंत्र में डाले थे। इससे पहले 21 नवंबर को बैंकिंग तंत्र में नकदी का स्तर 5 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था।