साल के बहुप्रतीक्षित कार्यक्रमों में से एक ‘बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई समिट 2023’ का आगाज सोमवार से मुंबई में होगा। इस कार्यक्रम में देश के शीर्ष नीति निर्माता वैश्विक चुनौतियों के बीच वित्तीय स्थिरता बनाए रखते हुए भविष्य की वृद्धि की राह पर विचार मंथन करेंगे।
कार्यक्रम की शुरुआत दो दशक पहले भारत के हसरतों से भरे युवाओं में क्रेडिट कार्ड और ईएमआई संस्कृति शुरू करने और बढ़ाने में अग्रणी रहे दिग्गज बैंकर केवी कामत के साथ बातचीत से होगी। कामत ने कई फर्मों में जिम्मेदारी निभाई हैं। वह आईसीआईसीआई बैंक के मुख्य कार्याधिकारी से लेकर इन्फोसिस के चेयरमैन और ब्रिक्स के प्रमुख तक रहे हैं।
फिलहाल वह नैशनल बैंक फॉर फाइनैंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड डेवलपमेंट के चेयरमैन हैं। वह देश के सबसे बड़े कारोबारी समूह रिलायंस इंडस्ट्रीज की इकाई जियो फाइनैंशियल सर्विसेज के भी चेयरमैन हैं। समिट की शुरुआत कामत करेंगे और समापन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास के साथ होगी। दास को हाल में सेंट्रल बैंकिंग द्वारा प्रतिष्ठित गवर्नर ऑफ द इयर के सम्मान से नवाजा गया है। इससे पहले 2016 में रघुराम राजन को भी यह सम्मान मिल चुका है।
बीएफएसआई समिट में दास के बयान पर देश की अर्थव्यवस्था और कारोबार से जुड़े सभी हितधारकों की करीबी नजर रहेगी। 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद से भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ गया है, यही वजह है कि देश वैश्विक झटकों से अछूता नहीं है। विकसित देशों के झटकों का समय-समय पर भारत में भी असर देखा गया है।
उच्च मुद्रास्फीति के कारण विकसित देशों में ब्याज दरें बढ़ने (खास तौर पर अमेरिका, जहां सरकारी बॉन्ड पर यील्ड 16 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है) जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद दास के नेतृत्व में भारतीय रिजर्व बैंक अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति बनाए रखने में सफल रहा है। आरबीआई ने वित्तीय बाजारों में सुचारु व्यवस्था सुनिश्चित करने और उठापटक को नियंत्रित करने में हस्तक्षेप किया है।
घरेलू चुनौतियों को मद्देनजर रखते हुए कोविड के दौरान मौद्रिक नीति में काफी ढील दी गई और उसके बाद आर्थिक गतिविधियों में तेजी से इजाफा हुआ। मगर अलनीनो के कारण अनियमित मॉनसून को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के अपने प्राथमिक दायित्व पर पूरा जोर दे रहा है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्सर आरबीआई के लक्षित दायरे 6 फीसदी के पार पहुंच ही है। 2022 में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में विफल रहने के बाद दास की नजर ‘अर्जुन’ की तरह मुद्रास्फीति को लक्ष्य के दायरे में लाने पर टिकी हुई है। यही वजह है कि ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती मांग के बावजूद वह मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई में ढिलाई बरतने से इनकार रहे हैं।
इसके साथ ही विनियम दर से भी केंद्रीय बैंक को जूझना पड़ रहा है। 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद विनियम बाजार में उठापटक चली थी, लेकिन इस साल रुपये ने मजबूती दिखाई है। डॉलर सूचकांक के बढ़ने के बावजूद 2023 में भारतीय रुपया सबसे स्थिर मुद्राओं में शुमार रहा है। दास के नेतृत्व में आरबीआई ने रुपये में गिरावट थामने के लिए अपने 600 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करने में कभी हिचकिचाहट नहीं दिखाई।
बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई समिट के दौरान मुद्रास्फीति और मुद्रा प्रबंधन पर दास की टिप्पणी पर करीबी नजर रहेगी और वित्तीय क्षेत्र के लोग आने वाले दिनों में उसके मायने निकालेंगे।
वित्तीय क्षेत्र के भागीदारों के बीच आम तौर पर बैंकिंग क्षेत्र सुर्खियों में रहता है लेकिन आईआरडीएआई के चेयरमैन देवाशिष पांडा के कुशल नेतृत्व में बीमा क्षेत्र तेजी से प्रगति कर रहा है। उन्होंने देश की स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ यानी 2047 तक सबके लिए बीमा का लक्ष्य रखा है। कुछ हद तक यह अप्रत्याशित बात है कि वित्तीय क्षेत्र का एक नियामक बीमा की पैठ बढ़ाने के लिए उद्योग को विकास के लिए प्रेरित कर रहा है। बीमा नियामक के इस कदम को बैंकिंग क्षेत्र के जन-धन की तरह देखा जा रहा है।
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेशा खारा के विचार भी दिलचस्प होंगे। उन्हें हाल ही में अगले साल अगस्त तक का सेवा विस्तार मिला है। खारा की अगुआई में एसबीआई ने वित्त वर्ष 2023 में 50,000 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया है, जो बैंकिंग क्षेत्र में किसी भी बैंक का अब तक का सर्वाधिक मुनाफा है।
बाजार के दिग्गज रामदेव अग्रवाल से लेकर क्रिस वुड और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण भी दो दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम में अपने विचार साझा करेंगे। इसके साथ ही म्युचुअल फंड के सीईओ और सीआईओ भी पैनल चर्चा करेंगे।
सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के बैंकों तथा विदेशी बैंकों के शीर्ष अधिकारी वृद्धि से लेकर प्रौद्योगिकी जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे और लघु वित्त बैंक के सीईओ इस तरह के ऋणदाताओं की आगे की राह पर अपने विचार व्यक्त करेंगे। भुगतान प्रणाली के भागीदारों तथा साइबर सुरक्षा की चुनौतियों पर एनबीएफसी के सीईओ पैनल चर्चा में हिस्सा लेंगे।
जीवन और सामान्य बीमा के सीईओ पैनल चर्चा में नियामकीय ढांचे में बदलाव पर चर्चा करेंगे और इस बात पर भी चर्चा होगी कि 2047 तक सबसे लिए बीमा के नियामक के दृष्टिकोण को कैसे साकार किया जाए।
भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितताओं से निपटने और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच धुरी बनने के लिए किस तरह तैयार हो रही है, इस पर भी व्यापक नजरिया दो दिन के इस समिट में पेश किया जाएगा।