facebookmetapixel
दक्षिण भारत के लोग ज्यादा ऋण के बोझ तले दबे; आंध्र, तेलंगाना लोन देनदारी में सबसे ऊपर, दिल्ली नीचेएनबीएफसी, फिनटेक के सूक्ष्म ऋण पर नियामक की नजर, कर्ज का बोझ काबू मेंHUL Q2FY26 Result: मुनाफा 3.6% बढ़कर ₹2,685 करोड़ पर पहुंचा, बिक्री में जीएसटी बदलाव का अल्पकालिक असरअमेरिका ने रूस की तेल कंपनियों पर लगाए नए प्रतिबंध, निजी रिफाइनरी होंगी प्रभावित!सोशल मीडिया कंपनियों के लिए बढ़ेगी अनुपालन लागत! AI जनरेटेड कंटेंट के लिए लेबलिंग और डिस्क्लेमर जरूरीभारत में स्वास्थ्य संबंधी पर्यटन तेजी से बढ़ा, होटलों के वेलनेस रूम किराये में 15 फीसदी तक बढ़ोतरीBigBasket ने दीवाली में इलेक्ट्रॉनिक्स और उपहारों की बिक्री में 500% उछाल दर्ज कर बनाया नया रिकॉर्डTVS ने नॉर्टन सुपरबाइक के डिजाइन की पहली झलक दिखाई, जारी किया स्केचसमृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला मिथिलांचल बदहाल: उद्योग धंधे धीरे-धीरे हो गए बंद, कोई नया निवेश आया नहींकेंद्रीय औषधि नियामक ने शुरू की डिजिटल निगरानी प्रणाली, कफ सिरप में DEGs की आपूर्ति पर कड़ी नजर

जीएसटी दरें बढ़ाकर राजस्व बढ़ाएं: अरविंद सुब्रमण्यन

इससे न केवल कर राजस्व बेहतर होगा बल्कि मुआवजा उपकर की एक बार समाप्ति होने की स्थिति में नया शुल्क लगाने की आवश्यकता भी खत्म हो जाएगी।

Last Updated- November 29, 2024 | 10:35 PM IST
GST

पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने शुक्रवार को सुझाव दिया कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद को कर की दरें बढ़ाने पर गंभीरता से सोचना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि इससे न केवल कर राजस्व बेहतर होगा बल्कि मुआवजा उपकर की एक बार समाप्ति होने की स्थिति में नया शुल्क लगाने की आवश्यकता भी खत्म हो जाएगी।

उन्होंने सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च की कॉन्फ्रेंस ‘द जीएसटी स्टोरी : विदर नेक्स्ट’ में कहा, ‘मेरा अपना विचार यह है कि मुआवजा उपकर को नए सिरे से नहीं लाना चाहिए क्योंकि इससे नैतिक खतरा उत्पन्न हुआ है। लिहाजा यदि वित्त आयोग को इसके लिए इंतजाम, प्रतिपूर्ति करने को कहा जाता है तो यह भी एक तरह से नैतिक खतरा है। इसका समाधान यह है कि दरें बढ़े, राजस्व बढ़े और मुआवजे की जरूरत कम हो।’

उन्होंने कहा कि भारत की जीएसटी प्रणाली 2017 में अपनाई गई थी और यह प्रणाली अभी तक बेहद जटिल है। इसे सरल किए जाने की आवश्यकता है। सुब्रमण्यन ने कहा, ‘जीएसटी प्रणाली बेहद जटिल है। अभी 50 (विभिन्न) उपकर दरें हैं। अगर हम अन्य चीजों पर नजर डालें तो यह दरें बढ़कर 100 हो सकती हैं।’

उन्होंने हाल के वर्षों में जीएसटी में अत्यधिक कर की मांग निरंतर बढ़ने पर चिंता जाहिर की और इसे ‘कर आतंकवाद’ करार दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की व्यवस्था में कर से संबंधित मसले रहे हैं लेकिन जीएसटी लागू किए जाने के बाद ऐसे मसलों में खासा इजाफा हुआ है। उनके अनुसार लक्ष्य इस समस्या के समाधान का होना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि 1 जुलाई, 2017 से लागू किए गए जीएसटी का लक्ष्य भारत के कर ढांचे को सुचारु बनाना था।

First Published - November 29, 2024 | 10:35 PM IST

संबंधित पोस्ट