चालू वित्त वर्ष के की पहली तिमाही के दौरान भारत के शीर्ष 10 आयात भागीदारों में से केवल रूस और हॉन्ग कॉन्ग से आयात में वृद्धि दर्ज की गई है। यह खास तौर पर ऐसे समय में दिखा है जब कमजोर मांग और जिंस की कीमतों में गिरावट के कारण देश के कुल आयात में 12.2 फीसदी की गिरावट आई है।
वाणिज्य विभाग द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल से सितंबर 2023 की अवधि में रूस से आयात करीब दो-तिहाई बढ़कर 30.4 अरब डॉलर हो गया। इसके साथ ही चीन के बाद रूस भारत का दूसरा सबसे बड़ा आयात भागीदार बन गया है। हालांकि सितंबर तक अलग-अलग देशों के व्यापार आंकड़े उपलब्ध नहीं थे, लेकिन पहले पांच महीनों के रुझान से लगातार वृद्धि का संकेत मिलता है। ऐसा मुख्य रूप तौर पर कच्चे तेल के आयात के कारण दिखा है। जहां तक हॉन्ग कॉन्ग का सवाल है तो आयात में वृद्धि 2.6 फीसदी यानी कुल 10.2 अरब डॉलर की रही। वृद्धि को मुख्य तौर पर चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों के दौरान विद्युत मशीनरी के आयात बल मिला।
भारत के शीर्ष 10 आयात भागीदारों में आयात संकुचन इस प्रकार रहा: चीन के मामले में -3.71 फीसदी, अमेरिका के मामले में -17.06 फीसदी, संयुक्त अरब अमीरात के मामले में -25.51 फीसदी, सऊदी अरब के मामले में -31.26 फीसदी, इराक के मामले में -31.25 फीसदी, इंडोनेशिया के मामले में -33.43 फीसदी, सिंगापुर के मामले में -6.51 फीसदी, और दक्षिण कोरिया के मामले में -8.03 फीसदी। भारत के कुल मर्केंडाइज आयात में इन देशों का योगदान 59 फीसदी से अधिक है। लगातार नौवें महीने कुल आयात में संकुचन दिखा है। पहली छमाही के दौरान कमजोर स्थानीय मांग और वैश्विक जिंस कीमतों में गिरावट के कारण संकुचन दिखा है।
बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री अदिति गुप्ता के अनुसार, घरेलू मांग का संकेत देने वाला गैर-स्वर्ण आयात कमजोर बना हुआ है। इसमें पिछले साल दर्ज की गई 35.7 फीसदी की वृद्धि के मुकाबले 10 फीसदी की गिरावट आई है।