सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) ने फंड के हेराफेरी मामले में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के निर्देशों के खिलाफ एस्सेल समूह के चेयरमैन सुभाष चंद्रा (Essel group chairman) और उनके बेटे पुनीत गोयनका को तत्काल राहत देने से इनकार कर दिया।
ट्रिब्यूनल ने सेबी को 48 घंटे के भीतर जवाब दाखिल करने और मामले को 19 जून को निपटाने का निर्देश दिया। इस खबर के बाद कंपनी के शेयर में एक बार फिर गिरावट आई है और यह गुरुवार को 4.39 प्रतिशत या 8.55 रुपये गिरकर 186.30 रुपये पर बंद हुआ।
Zee Entertainment Enterprises (ZEEL) के प्रमोटरों के वकीलों ने दरअसल सेबी के अंतरिम आदेश पर रोक लगाने की अपील की थी। सेबी ने उन्हें सूचीबद्ध कंपनियों में किसी भी प्रमुख प्रबंधकीय या निदेशक पद पर रहने से रोक लगा दी थी।
SAT की बेंच ने कहा कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद, हमारी राय है कि इस स्तर पर एक अंतरिम आदेश पारित करना अपील स्वीकार करने के बराबर होगा।
इसके बाद गोयनका के वकील ने तर्क दिया कि सेबी “निष्कर्षों पर तुरंत फैसला लिया’। उन्होंने अनुरोध किया कि इस आदेश पर 14 दिनों के लिए प्रारंभिक रोक लगनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के साथ ZEEL का विलय नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के समक्ष विचार के लिए लंबित है। एनसीएलटी के समक्ष अगली सुनवाई 16 जून को होगी।
क्या है मामला ?
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने दरअसल एस्सेल ग्रुप (Essel group) के चेयरमैन सुभाष चंद्रा और ज़ी एंटरटेनमेंट के एमडी एवं सीईओ पुनीत गोयनका को प्रमुख पदों पर रहने से बैन कर दिया है।
प्रोमोटर्स के वकीलों ने कहा कि सेबी ने आदेश जारी करने से पहले कारण बताओ नोटिस नहीं दिया था और न ही उन पर बैन लगाने की तत्काल आवश्यकता का कोई संकेत दिया था। उन्होंने कहा कि सेबी के इस आदेश के कारण कंपनी के स्टॉक्स बुरी तरह गिर गए हैं।
बता दें कि सेबी ने ज़ी एंटरटेनमेंट के फंड को दूसरी कंपनियों में लगाए जाने के मामले में उन्हें दोषी पाया है, जिसके बाद सेबी ने ये एक्शन लिया है। सेबी के मुताबिक, नियमों के कथित उल्लंघन के समय ज़ी एंटरटेनमेंट के चेयरमैन चंद्रा और निदेशक गोयनका ने अहम प्रबंधकीय पद पर रहते हुए अपनी स्थिति का दुरुपयोग किया और अपने निजी लाभ के लिए कंपनी के कोष दूसरी कंपनियों में लगा दिया।