Yes Bank-DHFL Scam: सीबीआई की विशेष अदालत ने प्राइवेट बैंक Yes Bank और देवन हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन (DHFL) के घोटाले मामले में सख्त बड़ा एक्शन लिया है। कोर्ट ने पुणे के बिल्डर अविनाश भोसले की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि इस घोटाले मामले में देश के साथ धोखा और आपराधिक षड्यंत्र हुआ है।
कोर्ट ने बिल्डर अविनाश भोसले को बड़ा भागीदार बताते हुए उसकी जमानत खारिज कर दी। बता दें कि कोर्ट ने जमानत याचिका को 23 जून को खारिज कर दिया था, लेकिन इसका विस्तृत ऑर्डर मंगलवार को जारी किया गया है।
सीबीआई के मुताबिक, इस घोटाले में पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राणा कपूर की अगुवाई में Yes Bank ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) को 3983 करोड़ रुपये का लोन दिया था। आरोप है कि इस रकम में से डीएचएफएल ने 2420 करोड़ रुपये सह-आरोपी संजय छाबड़िया के रेडियस ग्रुप की तीन कंपनियों को लोन के रूप में दिए थे।
CBI की जांच में पता चला कि DHFL से लोन लेने के लिए अविनाश को रेडियस ग्रुप से कंसल्टेंसी सर्विसेज पेमेंट्स के रूप में 350 करोड़ रुपये मिले थे।
बताते चलें कि इस मामले के मुख्य आरोपी राणा कपूर मार्च 2020 से जेल में बंद हैं। वहीं पुणे के अविनाश भोसले इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ग्रुप के फाउंडर अविनाश को भी मई 2022 में हिरासत में लिया गया था और उसने कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया है।
सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में कहा कि बैंक का पैसा मुख्य रूप से देश की दौलत है, जिसे इन अपराधियों द्वारा हड़प लिया गया। इस मामले में देश के साथ धोखाधड़ी के साथ आपराधिक षड्यंत्र हुआ है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अविनाश को जमानत देना सुरक्षित नहीं है क्योंकि वह सबूतों के साथ छेड़खानी कर सकते हैं साथ ही मुकदमे में बाधा डाल सकते हैं।