बीएस बातचीत
रुचि सोया का शेयर 650 रुपये के फॉलो-ऑन ऑफरिंग (एफपीओ) के मुकाबले 42 फीसदी बढ़त के साथ उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया। कंपनी के सीईओ संजीव अस्थाना का कहना है कि अब इस दमदार प्रदर्शन को बनाए रखने के लिए रुचि सोया की जिम्मेदारी बढ़ गई है। उन्होंने समी मोडक से बातचीत में कारोबार के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। पेश हैं मुख्य अंश:
सूचीबद्धता के समय प्रदर्शन बाजार की अपेक्षाओं से बेहतर रहा। एफपीओ से अब तक क्या बदलाव दिख रहा है?
मैं शेयर मूल्य पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा। हम केवल कंपनी के प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। बाजार को इस शेयर में काफी संभावनाएं दिखी हैं और इससे मुख्य तौर पर कारोबार को रफ्तार मिलनी चाहिए। हम बाजार की प्रतिक्रिया को देखकर खुश हैं। इससे मौजूदा प्रदर्शन को बनाए रखने के लिए हमारी जिम्मेदारी बढ़ गई है।
एफपीओ के बाद प्रवर्तक शेयरधारिता में कितनी गिरावट आई है?
अब सार्वजनिक हिस्सेदारी करीब 18 फीसदी और प्रवर्तकों की हिस्सेदारी करीब 82 फीसदी हो गई है। न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) प्रावधानों के तहत हमें दिसंबर 2022 तक शेष 7 फीसदी हिस्सेदारी घटाना होगा।
एफपीओ के बाद बकाया ऋण बोझ कितना है?
सोमवार तक हमारा शत प्रतिशत ऋण बोझ खत्म हो जाएगा। इसकी प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है।
लेकिन इस निर्गम का उद्देश्य 80 फीसदी ऋण मुक्त होना था?
आज सुबह हमारी बोर्ड बैठक हुई जिसमें सभी ऋण बोझ को निपटाने का निर्णय लिया गया है। हमने एफपीओ से जुटाई गई रकम में से 3,300 करोड़ रुपये ऋण बोझ को निपटाने के लिए रखा है। जबकि शेष रकम कार्यशील पूंजी एवं सामान्य कॉरपोरेट उद्देश्यों के लिए रखी गई है। अब हमने कुल ऋण बोझ निपटाने का निर्णय लिया है जिसमें सभी सावधि ऋण एवं कार्यशील पूंजी ऋण शामिल हैं।
क्या रुचि सोया ऋण मुक्त कंपनी के तौर पर अपना परिचालन जारी रखेगी अथवा कोई बड़ी पूंजी जुटाने की योजना है?
हमारा नकदी प्रवाह काफी दमदार है। इससे हमारा भरोसा बढ़ा है। फिलहाल किसी अधिग्रहण की कोई योजना नहीं बनाई गई है लेकिन यदि कोई अवसर दिखा तो हम उस पर अवश्य गौर करेंगे।
तो क्या प्रवर्तकों की शेष 7 फीसदी हिस्सेदारी को भुनाकर कोई ताजा रकम जुटाने की योजना नहीं है?
इस संबंध में कुछ भी बताना फिलहाल जल्दबाजी होगी। फिलहाल हम बाजार से मिली प्रतिक्रिया को देखकर काफी खुश हैं। हम आगे की रणनीति के बारे में बैठक कर विभिन्न विकल्पों का आकलन करेंगे। फिलहाल सभी की नजर एफपीओ पर है।
क्या आगे राजस्व मेल के बाद खाद्य तेल उत्पादों पर निर्भरता कम होगी?
फिलहाल हमारे कारोबार में खाद्य तेल का वर्चस्व है। अभी हम न्यूट्रिला ब्रांड और फूड कारोबार में विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसके अलावा न्यूट्रास्युटिकल्स कारोबार पर भी ध्यान दे रहे हैं। आगे चलकर हमारे कुल कारोबार में खाद्य तेल की हिस्सेदारी कम होगी। लेकिन वह हमारे राजस्व का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बरकरार रहेगा। प्रतिशत के लिहाज से उसमें कमी आएगी क्योंकि फूड एवं न्यूट्रास्युटिकल्स में तेजी से वृद्धि होगी।
कच्चे माल की कीमतों में तेजी से कंपनी किस प्रकार प्रभावित हुई है?
उसका असर हमारे ऊपर भी हुआ है लेकिन मामूली तरीके से। खाद्य तेल में कच्चे माल में तेजी के प्रभाव को सामान्य तौर पर आगे बढ़ा दिया गया है। कीमतों में रोजाना बदलाव हो रहा है। इसलिए उसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है। लेकिन हमारे फूड कारोबार पर जिंस कीमतों में तेजी का असर पड़ा है। हम कहीं अधिक कुशलता हासिल करने के लिए काम कर रहे हैं।
रुचि सोया की तुलना आमतौर पर अदाणी विल्मर से की जाती है। दोनों कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा कितनी तगड़ी है?
दोनों कंपनियों की एकीकृत बाजार हिस्सेदारी महज करीब 24 फीसदी है। बाजार सालाना 5 से 6 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। अदाणी विल्मर एक दमदार कंपनी है और हम उनका सम्मान करते हैं। हमारी अपनी विशेषताएं हैं।