सुभाष चंद्रा फैमिली को झटका देते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने आज पिछले साल अक्टूबर में एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ ज़ी के शेयरधारक इन्वेस्को डेवलपिंग मार्केट्स फंड की अपील पर शेयरधारकों की बैठक बुलाने की इजाजत दे दी, जिसमें ज़ी के सीईओ व एमडी पुनीत गोयनका को हटाया जाएगा। अक्टूबर में एकल न्यायाधीश ने इस कार्य के लिए शेयरधारकों की बैठक पर स्थगन आदेश जारी किया था।
ज़ी मेंं इन्वेस्को की 18 फीसदी हिस्सेदारी है और वह बोर्ड से गोयनका को हटाकर अपने नॉमिनी को नियुक्त करना चाहती है। शेयरधारकों के बीच कानूनी संघर्ष शुरू होने के बाद इन्वेस्को ऐसा करना चाह रही थी। कंपनी में चंद्रा फैमिली की हिस्सेदारी सिर्फ 4 फीसदी है।
आज के आदेश में न्यायमूर्ति एस जे कठावाला और न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव के खंडपीठ ने पिछले साल अक्टूबर में जारी एकल पीठ के आदेश को खारिज कर दिया लेकिन ज़ी को सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने के लिए तीन हफ्ते का वक्त दिया। अगर ज़ी को सर्वोच्च न्यायालय से कोई राहत नहीं मिलती है तो फिर इन्वेस्को ज़ी के बोर्ड से अपने नॉमिनी नियुक्त करने के लिए शेयरधारकों की बैठक बुलाने को कह सकती है।
अदालत ने कहा, हमने पाया है कि इन्वेस्को की तरफ से ज़ी को भेजा गया नोटिस न तो अवैध है और न ही दरकिनार किए जाने योग्य है। इसके साथ ही अदालत ने अगले तीन हफ्ते के लिए यथास्थिति बनाए रखने की इजाजत दी ताकि गोयनका अगर चाहें तो सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकते हैं।
मगलवार को ज़ी का शेयर 3.5 फीसदी की गिरावट के साथ 248 रुपये पर बंद हुआ। ज़ी के प्रवक्ता ने कहा, हम लिखित आदेश की प्रतीक्षा कर रहे हैं और कंपनी को भारतीय न्यायिक व्यवस्था पर पूरा भरोसा है और हम कानून के मुताबिक व हितधारकों के लिए सर्वोत्तम हित में जरूरी कदम उठाना जारी रखेंगे।
ज़ी और उसकी पूर्व सहयोगी इन्वेस्को डेवलपिंग मार्केट्स के बीच तब विवाद पैदा हो गया था जब इन्वेस्को ने पिछले साल रिलायंस इंडस्ट्रीज के स्वामित्व वाली दो मीडिया इकाइयों के साथ विलय का प्रस्ताव रखा था।
अदालत में गोयनका ने आरोप लगाया था कि ज़ी का विलय प्रतिस्पर्धी नियंत्रित मीडिया इकाइयों के साथ करने के इन्वेस्को के प्रस्ताव को नकारने पर वह हमेंं सबक सिखाना चाहती है। रणनीतिक समूह के साथ विलय के इन्वेस्को के प्रस्ताव से ज़ी के शेयरधारकों को किसी मूल्यांकन रिपोर्ट के अभाव में भारी नुकसान होता। गोयनका ने अदालत से ये बातें कही थी।
बुनियादी क्षेत्र के लिए हासिल कर्ज के भुगतान में प्रवर्तक इकाइयों की चूक के बाद चंद्रा फैमिली का कंपनी पर नियंत्रण नहीं रह गया। फैमिली ने कर्ज चुकाने के लिए ज़ी के शेयर बेच दिए और उनकी हिस्सेदारी अब इस कंपनी में महज 4 फीसदी रह गई है।
दिसंबर में ज़ी ने प्रतिस्पर्धी सोनी एंटरटेनमेंट नेटवर्क इंडिया के साथ विलय का प्रस्ताव रखा, जो अभी नियामकीय मंजूरी के इंतजार में है।
सितंबर 2021 में ज़ी की सालाना आम बैठक से ठीक पहले इन्वेस्को ने कंपनी को शेयरधारकों की असाधारण आम बैठक बुलाने को कहा था।
