भारत में सूचीबद्ध वेदांत के अरबपति चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा है कि वह अपने कुछ या सभी व्यवसायों के लिए स्वतंत्र इकाइयां बनाने के विकल्प तलाशेंगे। हालांकि समूह ने इस प्रस्ताव से संबंधित समय-सीमा का खुलासा अभी नहीं किया है।
बीएसई को भेजे एक बयान में वेदांत ने इसे शेयरधारकों के हित वाला प्रयास करार दिया है। अग्रवाल ने गुरुवार की शाम जारी एक वीडियो मैसेज में शेयरधारकों को बताया, ‘मुझे बताया गया है कि निवेशक शुद्ध दांव पसंद करते हैं।’
अग्रवाल ने कहा, ‘हमारी जिन व्यवसायों में मौजूदगी है, उनमें तेल एवं गैस, एल्युमीनियम, एकीकृत विद्युत, तांबा, जस्ता, चांदी, सीसा, लौह और इस्पात, निकल, लौह मिश्र धातु और सेमीकंडक्टर डिस्पले ग्लास शामिल हैं। मैंने अपने सभी सलाहकारों और अपने लोगों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि क्या हमारे सभी या कुछ उत्पादों को अलग पहचान मिल सकती है। स्वतंत्र प्रबंधन और नेतृत्व इस व्यवसाय को ऊंचे स्तर पर ले जा सकते हैं, वे एक उत्पाद में कई अन्य उत्पाद विकसित करने पर जोर दे सकते हैं।’
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वेदांत ने बीएसई को दी जानकारी में कहा है, ‘मौजूदा समय में, यह सिर्फ योजना है और प्रतिक्रिया के आधार पर इस संबंध में की जाने वाली प्रगति (यदि कुछ होता है) अपेक्षित स्वीकृति और नियामकीय मंजूरियों/खुलासों के अधीन होगी।’
व्यवसायों को अलग इकाइयों में सूचीबद्ध कराने का संकेत देते हुए अग्रवाल ने कहा, ‘इसका मतलब है कि यदि आपके पास वेदांत लिमिटेड का एक शेयर है तो आपको अन्य कंपनियों के कई शेयर मिल जाएंगे और लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में निवेश का अवसर मिलेगा, कुछ अंतरराष्ट्रीय कंपनियां खास क्षेत्र में निवेश करना चाहेंगी, उन्हें वह अवसर मिलेगा।’
यदि योजना सफल रही तो वेदांत भी अपने व्यावसायिक खंडों के लिए समान प्रयास करने वाले रेमंड, आईटीसी और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे व्यावसायिक घरानों की सूची में शामिल हो जाएगी।
मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली तेल एवं दूरसंचार कंपनी ने हाल में अपनी वित्तीय सेवा इकाई जियो फाइनैंशियल सर्विसेज को सूचीबद्ध कराया है।
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जुलाई में, आईटीसी के बोर्ड ने कंपनी के होटल व्यवसाय को अलग कर नई इकाई बनाए जाने की मंजूरी दी। अप्रैल में, रेमंड समूह ने अपने लाइफस्टाइल और रियल एस्टेट व्यवसायों के लिए दो स्वतंत्र एवं कर्ज-मुक्त सूचीबद्ध इकाइयां बनाने की प्रक्रिया शुरू की।
यह पहली बार नहीं है जब अग्रवाल ने कंपनी का स्वामित्व ढांचा बदलने पर विचार किया है। 2020 में वेदांत की पैतृक कंपनी वेदांत रिसोर्सेज ने भारतीय इकाई के लिए सूचीबद्धता समाप्त करने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि समान वर्ष के अक्टूबर में यह प्रस्ताव वापस ले लिया गया और तब प्रवर्तक कंपनी ने कहा था, ‘डीलिस्टिंग का प्रयास सफल नहीं रहा। इस संबंध में हमें अपने शेयरधारकों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली।’
पैतृक कंपनी कर्ज घटाने की भी कोशिश कर रही है। मई में, वेदांत रिसोर्सेज ने कहा कि उसने मई और जून में देय होने वाले 1.4 अरब डॉलर के बॉन्डों का भुगतान किया, जिससे उसका सकल ऋण इस साल मार्च के अंत के 7.8 अरब डॉलर से घटकर 6.4 अरब डॉलर रह गया है।