तूत्तुकुडि शहर के मट्टाक्कडाई में एक छोटा सा मंदिर श्री पेरातु सेल्वी अम्मल तिरुकोविल हर दिन सैकड़ों भक्तों का पसंदीदा स्थल है। संभवतःदैवीय कृपा की चाहत में या स्थानीय लोगों का दिल जीतने की कोशिश में वेदांत की स्टरलाइट कॉपर ने कुछ महीने पहले यहां एक नया मंदिर बनाया था।
ठीक पांच साल और तीन महीने पहले मई 2018 में वेदांत की स्टरलाइट कॉपर इकाई तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) द्वारा जारी एक आदेश के बाद बंद करा दी गई थी। अगर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला कंपनी के पक्ष में आता है, तो यह दैवीय कृपा कंपनी द्वारा इस संयंत्र का परिचालन तुरंत दोबारा शुरू करने के लिए उठाए गए कदमों में से एक होगा।
कंपनी इस संयंत्र की जल्दी से दोबारा शुरुआत करने के वास्ते संभावित कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने से लेकर अनुबंध कार्यों के लिए बोली प्रक्रिया को लगभग अंतिम रूप देने तक सभी उपायों का सहारा ले रही है। मामले की अंतिम दौर की सुनवाई 22 और 23 अगस्त को होनी है तथा जल्द ही फैसला आने की उम्मीद है। एक सूत्र के अनुसार कंपनी को जून में जारी दो रुचि पत्रों के संबंध में 125 से ज्यादा बोलियां मिल चुकी हैं।
इस घटनाक्रम के बारे में जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि इसमें शामिल कंपनियों की गोपनीयता के मद्देनजर स्टरलाइट यह पुष्टि कर सकती है कि आवेदन करने वाले विक्रेताओं में से 125 से अधिक विक्रेताओं को संयंत्र में किसी भी भावी कार्य के लिए विचाराधीन रखा जा सकता है। विभिन्न हितधारकों की ओर से यह दमदार रुचि उत्कृष्टता और उच्च मानकों के पालन के प्रति स्टरलाइट की प्रतिबद्धता की उद्योग की मान्यता को दर्शाती है।
इसके अलावा कंपनी ने लोगों को व्यापार-स्तरीय कौशल के साथ सशक्त बनाने के लिए कोयंबत्तूर में कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। कार्यक्रम में फैब्रिकेशन फिटिंग, वेल्डिंग, इंसुलेशन-शीट मेटल, मिलराइट फिटिंग, इलेक्ट्रीशियन कार्य सहित अन्य के लिए प्रशिक्षण शामिल है।
सूत्र ने कहा कि शुरुआत में तूतीकोरिन के 97 व्यक्ति व्यावहारिक कौशल और उद्योग के प्रासंगिक ज्ञान के प्रोत्साहन पर ध्यान केंद्रित करते हुए कोयंबत्तूर के जीकेडी संस्थान में सक्रिय रूप से प्रशिक्षण ले रहे हैं।
इसके विपरीत प्रदर्शनकारी कंपनी के इन कार्यों को ‘राजनीतिक स्टंट’ के रूप में देखते हैं। स्टरलाइट इकाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले तमिलनाडु के गैर सरकारी संगठन पीपल्स राइट प्रोटेक्शन सेंटर (पीआरपीसी) के वरिष्ठ नेता जिम राज मिल्टन ने कहा कि यह एक राजनीतिक तिकड़म है। लोग स्थायी रूप से काम बंदी चाहते हैं।