अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाली वेदांता लिमिटेड अपने एल्यूमीनियम कारोबार को और मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। कंपनी अगले कुछ वर्षों में अपने एल्यूमीनियम उत्पादन क्षमता को 2.4 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) से बढ़ाकर 3.1 मिलियन टन प्रति वर्ष करने की योजना बना रही है।
सूत्रों के अनुसार, इस विस्तार के लिए वेदांता करीब 13,226 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। कंपनी का मानना है कि एल्यूमीनियम अब सिर्फ एक धातु नहीं बल्कि इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, नवीकरणीय ऊर्जा, शहरी बुनियादी ढांचा और एयरोस्पेस जैसे क्षेत्रों में तेजी से बढ़ते अवसरों की कुंजी बन गया है।
इस कदम के साथ वेदांता एल्यूमीनियम को अपने विकास रणनीति के केंद्र में रख रही है और भविष्य में इस धातु के महत्व को और बढ़ाने की तैयारी कर रही है।
देश की प्रमुख अल्युमिनियम निर्माता कंपनी वेदांता, जो घरेलू बाजार में 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी रखती है, अपने समूह स्तर के EBITDA लक्ष्य 8-10 बिलियन डॉलर में अल्युमिनियम को सबसे बड़ा योगदान देने के लिए तैयार है। यह जानकारी कंपनी की हालिया एक्सचेंज फाइलिंग में सामने आई।
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सूत्रों के अनुसार, वेदांता की अल्युमिनियम उत्पादन क्षमता FY26 तक 2.75 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) तक बढ़ जाएगी और FY28 तक यह 3.1 MTPA तक पहुँचने की संभावना है। इसके अलावा, वेदांता की बहुमत हिस्सेदारी वाली BALCO भी एक मिलियन टन उत्पादन क्लब में शामिल होने जा रही है।
कंपनी पिछले 11 तिमाहियों में लागत को करीब 24 प्रतिशत घटाकर 641 डॉलर प्रति टन तक ला चुकी है। इसमें Lanjigarh रिफाइनरी विस्तार और कोयला खानों के माध्यम से अल्यूमिना में बैकवर्ड इंटीग्रेशन ने मदद की है। वेदांता का अल्युमिनियम व्यवसाय पूरी तरह कैप्टिव संचालन से समर्थित है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह कैप्टिव इंटीग्रेशन वैश्विक स्तर पर सामान्य नहीं है, लेकिन वेदांता को भू-राजनीतिक उतार-चढ़ाव में मजबूती और कम लागत में उत्पादन की सुविधा देता है।
देश में अल्युमिनियम की मांग आने वाले वर्षों में उच्च GDP वृद्धि के कारण बढ़ने की उम्मीद है। सरकार की कई योजनाएं जैसे ‘मेक इन इंडिया’, ‘100 प्रतिशत ग्रामीण विद्युतीकरण’, ‘हाउसिंग फॉर ऑल’, और ‘स्मार्ट सिटीज़’ भी धातु की खपत को बढ़ावा देंगी।
एक उद्योग विशेषज्ञ ने कहा, “अल्युमिनियम ऊर्जा संक्रमण का आधार बनता जा रहा है। वेदांता के पास बड़े पैमाने और इंटीग्रेशन के साथ भारत की जरूरतों को पूरा करने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने की क्षमता है।”