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Vedanta को फिर से मिली जांबिया की कॉपर माइन की ओनरशिप, भारत को होगा ये फायदा

वेदांता रिसोर्सेज ने बयान में कहा कि जांबिया की सरकार ने कोंकोला कॉपर माइन्स (KCM) की ओनरशिप और ऑपरेशनल कंट्रोल को वेदांता सिसोर्सेज को वापस कर दिया है।

Last Updated- September 06, 2023 | 12:21 PM IST
Vedanta

भारतीय अरबपति अनिल अग्रवाल की वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड (Vedanta Resources Limited)  ने जांबिया की एक कॉपर माइन कंपनी का मालिकाना हक वापस ले लिया है। कंपनी ने चार साल की कानूनी लड़ाई के बाद इस विवाद को सुलझा लिया है। इस बात की घोषणा कंपनी ने 5 सितंबर को की।

वेदांता रिसोर्सेज ने बयान में कहा कि जांबिया की सरकार ने कोंकोला कॉपर माइन्स (KCM) की ओनरशिप और ऑपरेशनल कंट्रोल को वेदांता सिसोर्सेज को वापस कर दिया है।

जांबिया के मिनिस्टर ऑफ माइन्स एंड मिनरल्स डेवलपमेंट पॉल काबुस्वे (Paul Kabuswe) ने कहा कि KCM की ओनरशिप को मेजारिटी शेयरहोल्डर के रूप में वेदांता को फिर से सौंपा जा रहा है।

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वेदांता के पास KCM की हिस्सदारी

अनिल अग्रवाल की कंपनी के पास KCM की 79.4 फीसदी हिस्सेदारी है। वेदांता ने कहा कि KCM को वापस पाने से दुनिया को कार्बनमुक्त बनाने के लिए एनर्जी ट्रांजिशन में काफी सहायता मिलेगी, क्योंकि इसके पास कॉपर का भंडार है।

वेदांता के अनुसार, कोंकोला कॉपर माइन्स के पास कंटेन्ड कॉपर का 1.6 करोड़ टन का रिसोर्सेज और रिजर्व है। साथ ही इसका कॉपर ग्रेड 2.3 फीसदी है जो वैश्विक औसत 0.4 फीसदी से काफी अधिक है।

अनिल अग्रवाल ने कही ये बात

वेदांता रिसोर्सेज के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने जाम्बिया सरकार के फैसले का स्वागत किया और कहा कि KCM एक मूल्यवान संपत्ति है क्योंकि फ्यूचर की टेक्नोलॉजी के लिए कॉपर एक महत्वपूर्ण मिनरल है।

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उन्होंने कहा कि वेदांता अब तांबा की माइनिंग से लेकर इसके प्रोडक्शन तक पूरी तरह से एक इंटीग्रेटेड कंपनी बन जाएगी।

भारत को क्या होगी फायदा?

वेदांता के पास KCM वापस आने से भारक को काफी फायदा होगा। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब भारत में कॉपर की डिमांड सालाना करीब 25 फीसदी की दर से बढ़ रही है। वेदांता की प्रेस रिलीज के अनुसार, कॉपर एनर्जी ट्रांजिशन से जुड़ी तकनीकों के लिए काफी महत्वपूर्ण मिनरल है।

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First Published - September 6, 2023 | 12:19 PM IST

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