अहमदाबाद की औषधि कंपनी टॉरंट फार्मास्युटिकल्स अब डायग्नोस्टिक क्षेत्र में दस्तक देने की तैयारी कर रही है। पिछले साल ल्यूपिन ने इसी तरह का कारोबार शुरू किया था।
इस मामले से अवगत सूत्रों के अनुसार, अगले दो-तीन महीनों में टॉरंट के डायग्नोस्टिक कारोबार की औपचारिक शुरुआत होने की उम्मीद है। इस बाबत जानकारी के लिए कंपनी को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला। हालांकि सूत्रों का कहना है कि टॉरंट फार्मा ने डायग्नोस्टिक क्षेत्र उतरने की योजना तैयार की है और वह इसके लिए भर्ती प्रक्रिया भी शुरू कर चुकी है।
टॉरंट फार्मा ने अपने डायग्नोस्टिक कारोबार के लिए इसी साल फरवरी में एक कंपनी टॉरंट डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की है। इसके निदेशकों में टॉरंट फार्मास्युटिकल्स के कार्यकारी निदेशक भी शामिल हैं। सूत्रों ने कहा, ‘टीम सदस्यों की नियुक्तियां जारी हैं और कंपनी अब एक रेफ्रेंस लैबोरेटरी स्थापित कर रही है। इसकी ऑपचारिक तौर पर शुरुआत होने में अभी कुछ महीने और लगेंगे।’
मुंबई की औषधि कंपनी ल्यूपिन ने पिछले साल ल्यूपिन डायग्नोस्टिक्स के जरिये डायग्नोस्टिक क्षेत्र में कदम रखा था। ल्यूपिन डायग्नोस्टिक्स ल्यूपिन की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। उसने नवी मुंबई में एक रेफ्रेंस लैबोरेटरी की स्थापना की है और अपोलो
डायग्नोस्टिक्स, डॉ लाल पैथलैब्स, एसआरएल और रिलायंस लाइफ साइंसेज से पेशेवरों की नियुक्तियां की है। क्रेडिट सुईस के विश्लेषक अनुभव अग्रवाल और सायंतन माजी का मानना है कि ल्यूपिन के आने
से डायग्नोस्टिक कारोबार में प्रतिस्पर्धा की धार बढ़ेगी। विश्लेषकों ने कहा, ‘प्रवेश संबंधी मामूली बाधाएं, निवेश पर उच्च रिटर्न (50 फीसदी से अधिक) और तेज वृद्धि (दो अंकों में) प्रोफाइल के कारण डायग्नोस्टिक क्षेत्र डिजिटल हेल्थ एग्रीगेटरों के साथ-साथ नई कंपनियों को आकर्षित कर रहा है।’
डायग्नोस्टिक क्षेत्र में दवा कंपनियों के प्रवेश का चलन बढ़ रहा है। इस क्षेत्र पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि दवा कंपनियों के लिए डायग्नोस्टिक क्षेत्र में विस्तार करना तार्किक पहल है क्योंकि उनके पास पहले से ही डॉक्टरों का एक अच्छा नेटवर्क उपलब्ध होता है।
भारत में करीब 55,000 करोड़ रुपये के डायग्नोस्टिक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर असंगठित कारोबार का वर्चस्व है। विश्लेषकों का मानना है कि तीन से पांच साल में संगठित कंपनियों की हिस्सेदारी 15 फीसदी से बढ़कर 25 फीसदी हो सकती है।
डायग्नोस्टिक क्षेत्र के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा बीमारी का पता लगाने से आता है। फिलहाल लोग तंदुरुस्ती, जांच अथवा निवारक स्वास्थ्य सेवा पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। इस क्षेत्र में ऑनलाइन डायग्नोस्टिक कंपनियों के प्रवेश के बाद से स्थिति बदल रही है।
