व्हाट्सऐप पर ‘टीसीएस वेटिंग फॉर ऑफर लेटर’ ग्रुप से जुड़ेंगे तो आपको सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) में भर्तियों के माहौल का पता चल जाएगा। यह उन अनुभवी सॉफ्टवेयर डेवलपरों का ग्रुप है, जिनका कंपनी ने साक्षात्कार तो लिया मगर ऑफर लेटर नहीं दिया।
पिछले साल में भारतीय आईटी उद्योग में नौकरियों की डोर कर्मचारी के हाथ से निकलकर नियोक्ता के पास आ गई। 2022 की पहली छमाही तक कर्मचारी स्टार थे और नौकरी चाहने वालों के पास विकल्पों की भरमार थी। उस दौरान वेतन बढ़े, कर्मचारियों का कंपनी छोड़ना भी बढ़ा और नियुक्ति का अनुपात गिर गया। मगर 2022 की दूसरी छमाही में तस्वीर पलट गई। 2023 में नौकरियां और रोजगार नियोक्ताओं को इशारे पर चल रही हैं। रोजगार कम है और नौकरी के तलबगार ज्यादा हो गए हैं।
इस बीच विमानन क्षेत्र के लिए चीजें बेहतर दिख रही हैं। साल 2020 में वैश्विक महामारी के कारण हवाई सफर महीनों ठप। उस दौरान भारतीय विमानन कंपनियों को अपने कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ी थी या वेतन कटौती करनी पड़ी।
निहारिका गुप्ता (बदला हुआ नाम) उस दौरान एक प्रमुख विमानन कंपनी की कॉरपारेट प्लानिंग टीम में शामिल थीं। उनका वेतन 10 फीसदी घटाया गया मगर उन्होंने इस्तीफा दे दिया और विमानन उद्योग से पूरी तरह निकल गईं। उन्होंने वेतन में बढ़िया बढ़ोतरी के साथ एक स्टार्टअप के साथ नई शुरुआत की। कोविड के दौर में कई अन्य लोग भी विमानन छोड़ गए।
बहरहाल 2023 तक स्थिति काफी बदल चुकी है। भारतीय विमानन क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। हवाई यातायात में जबरदस्त इजाफा हुआ है और अब यात्री किराया अधिक होने की शिकायत कर रहे हैं। बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ने के साथ ही सभी विमानन कंपनियां अपने कर्मचारियों की तनख्वाह में अच्छी बढ़ोतरी कर रही हैं। चर्चा है कि एक फुल-सर्विस विमानन कंपनी कर्मचारियों को आकर्षक बोनस भी दे रही है।
फार्मास्युटिकल क्षेत्र की सेहत भी दुरुस्त दिख रही है। वेणु पारेख (बदला हुआ नाम) ने वैश्विक महामारी के दौरान अहमदाबाद की एक दवा कंपनी में बतौर अनुपालन अधिकारी काम किया था। उस दौरान यात्राओं पर रोक लगने से कारखानों का निरीक्षण बंद हो गया। 2023 के आरंभ में उन्हें हैदराबाद की एक कंपनी में नौकरी मिल गई। अब संयंत्र में जाकर निरीक्षण का काम शुरू हो चुका है और पारेख जैसी प्रतिभाओं की मांग बढ़ गई है।
भारत के औपचारिक रोजगार बाजार का हाल इस साल मिलाजुला रहा। अगले साल यानी 2024 के लिए भी मिलाजुला अनुमान है। फार्मा, स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढांचा और विमानन जैसे कुछ उद्योगों में नियुक्तियां दिख रही हैं मगर आईटी, वाहन आदि क्षेत्रों में कंपनियां सतर्क हैं।
वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2023 के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था में करीब 5.2 करोड़ नए औपचारिक रोजगार सृजित हुए और 2.3 करोड़ शुद्ध नियुक्तियां हुईं। समाचार एजेंसी पीटीआई ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम के आंकड़ों का विश्लेषण कर यह बताया है।
नियुक्ति सलाहकार फर्म सीआईईएल एचआर का कहना है कि अधिकतर आईटी कंपनियां लागत में कटौती और मौजूदा संसाधनों के ज्यादा कारगर इस्तेमाल पर जोर दे रही हैं।
कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी आदित्य मिश्र ने कहा, ‘हमने नियुक्ति मांग (आईटी के लिए) में पिछले साल के मुकाबले 40 फीसदी कमी दर्ज की है। जहां तक नियुक्ति का सवाल है तो साक्षात्कार दौर तक प्रक्रिया पूरी होने के बाद नियुक्ति का समय बढ़ा दिया जाता है।’
इस बीच विमानन क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। ग्राहक यात्रा पर खर्च कर रहे हैं और कारोबारी गतिविधियां भी बढ़ रही हैं। सरकारी पहल से पर्यटन को बढ़ावा मिला है, जिससे अगले कुछ महीनों में रफ्तार और तेज होगी।
सीआईईएल एचआर के आंकड़ों से पता चलता है कि रेल, सड़क, राजमार्ग और शहरी बुनियादी ढांचा जैसे क्षेत्रों में पिछले बजट में सरकारी निवेश बढ़ने से बुनियादी ढांचा क्षेत्र में रोजगार सृजित हुए हैं। पिछले साल इस क्षेत्र का प्रदर्शन अच्छा रहा और 2023 में भी तस्वीर अच्छी है।
रोजगार सलाहकार फर्म एडेको इंडिया की महानिदेशक (कर्मचारी) मनु सहगल ने कहा कि बुनियादी ढांचा, इंजीनियरिंग एवं निर्माण क्षेत्र में पिछली कुछ तिमाहियों से लगातार भर्ती दिखी हैं। इनमें खास तौर पर कुशल पेशेवरों की मांग बरकरार रही।
उन्होंने कहा, ‘हमें लगा था कि परिसरों से भर्ती सुस्त रहेगी, लेकिन सिविल इंजीनियर, मेकैनिकल इंजीनियर, इलेक्ट्रिकल इंजीनियर, प्रोजेक्ट मैनेजर आदि पदों के लिए मांग स्थिर बनी हुई है।’
उन्होंने कहा कि छंटनी से ज्यादा रफ्तार तो कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की है। इससे पता चलता है कि लोग खुद नौकरी बदलने पर जोर दे रहे हैं। बुनियादी ढांचा क्षेत्र में घर वापसी भी हो रही है। उदाहरण के तौर पर अजय गोयल एडटेक कंपनी बैजूस से अपनी पुरानी कंपनी वेदांत में बतौर मुख्य वित्तीय अधिकारी लौट चुके हैं।
वाहन क्षेत्र में भी अत्यधिक कुशल कामगारों की मांग बढ़ रही है। एसऐंडपी ग्लोबल के निदेशक (मोबिलिटी) पुनीत गुप्ता ने कहा कि नई प्रौद्योगिकी आने से उद्योग अपने मौजूदा कर्मचारियों को नए सिरे से प्रशिक्षित करने पर ध्यान दे रहा है।
बुनियादी ढांचा की ही तरह फार्मास्युटिकल क्षेत्र भी अनुसंधान एवं विकास (आरऐंडी) में नए कौशल की तलाश कर रहा है। इंडिया फार्मास्युटिकल्स अलायंस के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा कि सेल्स कर्मियों की भर्ती करने के बाद कंपनियां अब अनुसंधान के लिए प्रतिभाएं तलाशने पर ध्यान दे रही हैं।
जहां तक आईटी उद्योग का सवाल है तो 2024 में भी अनिश्चितताएं बरकरार रहने के आसार हैं। स्टाफिंग फर्म एक्सफेनो के सह-संस्थापक कमल कारंत ने कहा, ‘अब बाजी नियोक्ता के हाथ में है। 2024 में यही स्थिति बरकरार रहने के आसार हैं।’
इंजीनियरिंग परिसरों से भी हकीकत पता चलती है। एक्सफेनो के आंकड़ों के अनुसार परिसरों से नियुक्तियों में 60 से 65 फीसदी की गिरावट दिख सकती है। वित्त वर्ष 2024 के दौरान आईटी क्षेत्र में फ्रेशरों की सबसे कम नियुक्तियां होंगी।
वित्त वर्ष 2022 में इस क्षेत्र में रिकॉर्ड 6 लाख फ्रेशर लिए गए थे और 2023 में आंकड़ा 2.50 लाख फ्रेशरों का रहा। कुछ महीने पहले बिज़नेस स्टैंडर्ड के संवाददाता ने इंजीनियरिंग कॉलेजों का दौरा किया था। वहां छात्रों ने प्रमुख आईटी कंपनियों ने भर्तियां शुरू नहीं होने पर चिंता जताई थी। इन्फोसिस और विप्रो जैसी कंपनियों ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि वे पहले उन छात्रों को खपाना चाहती हैं जिन्हें पिछले साल ऑफर लेटर दिए गए थे।
विमानन क्षेत्र की तस्वीर बिल्कुल अलग है। वहां पायलटों की मांग इतनी अधिक है कि इस साल के आरंभ में एयर इंडिया और आकाश एयर के बीच गतिरोध पैदा हो गया था। इतना ही नहीं आकाश एयर ने सितंबर में दिल्ली उच्च न्यायालय में शिकायत की थी कि वह संकट से जूझ रही है और 43 पायलटों के इस्तीफे के कारण उसका कामकाज ठप हो सकता है। इनमें से अधिकतर पायलट 6 से 12 महीने की नोटिस अवधि का पालन किए बिना निकल गए थे। वे एयर इंडिया की सहायक कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस में चले गए हैं।
गो फर्स्ट 2023 में दिवालिया हो गई मगर अन्य विमानन कंपनियां अपने कारोबार का विस्तार कर रही हैं। जून में इंडिगो ने 500 ए320 एयरबस विमानों का एकमुश्त ऑर्डर दिया था, जो दुनिया का सबसे बड़ा ऑर्डर है। फरवरी में एयर इंडिया ने 470 विमानों का ऑर्डर दिया था।