जेट एयरवेज (Jet Airways) के ऋणदाताओं ने जालान कलरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) के भुगतान के स्रोत पर सवाल खड़े किए हैं। ऋणदाताओं का कहना है कि जेकेसी द्वारा किया गया भुगतान समाधान योजना के अनुकूल नहीं है और हो सकता है कि यह रकम अवैध स्रोतों से आई हो। जेकेसी जेट एयरवेज का सफल बोलीदाता है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सहित अन्य ऋणदाताओं की तरफ से अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल एन वेंकटरमन ने कहा कि वह इस विषय पर कुछ अधिक नहीं कहना चाहते हैं मगर जिन खातों से जेकेसी ने भुगतान किए हैं उन पर सवाल उठाए जा सकते हैं और वे समाधान योजना के अनुरूप भी नहीं कहे जा सकते।
वेंकटरमन ने कहा, ‘अब तक जेकेसी हमें हल्के में ले रहा था मगर अब उन्होंने न्यायालय के साथ भी खिलवाड़ करना शुरू कर दिया है। जेट के ऋणदाताओं ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील न्यायाधिकरण में कहा कि सफल समाधान आवेदक (जेकेसी) द्वारा समाधान योजना के अंतर्गत 350 करोड़ रुपये बकाया रकम के हिस्से का भुगतान नहीं किया है, बल्कि उन्होंने दूसरे खातों का इस्तेमाल लिया है।‘
ऋणदाताओं ने कहा कि कुल 200 करोड़ रुपये के भुगतान में 13 करोड़ रुपये दूसरे स्रोत या खातों से आए हैं। ऋणदाताओं ने न्यायाधिकरण में इन मुद्दों को उठाया और कहा कि उन्होंने बंबई राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) में जेकेसी के खिलाफ आवेदन दिया है जिसमें भुगतान के स्रोतो पर सवाल उठाए गए हैं।
ऋणदाताओं ने इस कंसोर्टियम के विदेशी साझेदार फ्लोरियन फ्रिट्च पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने यह चिंता इसलिए जताई है क्योंकि कि 2022 में फर्जीवाड़े और धन शोधन को आरोपों के बाद फ्रिश की जायदाद पर छापे पड़े थे।
वेंकटरमन ने न्यायाधिकरण को बताया कि ऋणदाता जेकेसी की अनुपालन रिपोर्ट के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराने पर विचार कर रहे हैं। इस बीच, जेकेसी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कृष्णेंदु दत्ता ने कहा कि न्यायालय के आदेश के अनुसार 350 करोड़ रुपये बकाया रकम का भुगतान हो चुका है, इसलिए जेकेसी को नियंत्रण सौंपने में मदद के लिए शेयरों के स्थानांतरण की पहल शुरू की जानी चाहिए।
दत्ता ने कहा कि जेट के ऋणदाता शुरू से ही जेकेसी के हरेक कदम पर आपत्ति जता रहे हैं क्योंकि वास्तव में वे इस विमानन कंपनी का नियंत्रण छोड़ना ही नहीं चाहते हैं। दूसरे स्रोतों से भुगतान से जुड़ी चिंताओं पर दत्ता ने कहा कि 200 करोड़ रुपये में अधिकांश रकम का भुगतान मुरारी लाल जालान ने किया था और केवल कुछ ही रकम का भुगतान अन्य स्रोतों से किया था।
पिछले सप्ताह ने जेकेसी ने शेष 100 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया था जिसके बाद ऋणदाताओं को 350 करोड़ रुपये की अंतिम किस्त का भी भुगतान भी पूरा हो गया था। एक स्रोत ने कहा कि संभव है कि जेकेसी जेट एयरवेज में वर्कमैन को दी जाने वाली रकम का भुगतान पांच वर्षों के लिए टालने पर विचार कर रहा हो। इस मामले पर 12 अक्टूबर को फिर सुनवाई हो सकती है। तब तक न्यायाधिकरण ने संबंधित पक्षों को अपनी आपत्ति या पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं।