बीएस बातचीत
एलआईसी के चेयरमैन एम आर कुमार ने कारोबारी लक्ष्य, जीवन बीमा क्षेत्र की हालत और अन्य पहलुओं पर सुब्रत पांडा से बात की। प्रमुख अंश:
जुलाई और अगस्त में जीवन बीमा कारोबार में तेजी दिखी है। मोटे तौर पर वित्त वर्ष 2021 में इस क्षेत्र का प्रदर्शन कैसा रहेगा?
जीवन बीमा कारोबार का देश की आर्थिक गतिविधियों से सीधा संबंध है। कोविड-19 से देश आर्थिक गतिविधियों को नुकसान हुआ और जीवन बीमा उद्योग भी इससे अछूता नहीं रहा। लॉकडाउन में आर्थिक गतिवधियां पूरी तरह थम गईं और अब हालात सामान्य बनाने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद थोड़ा सुधार दिखना शुरू हो गया है। अर्थव्यवस्था में भी तेजी दिखनी शुरू हो गई है। हमें उम्मीद है कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने से हालत सुधरेगी और वित्त वर्ष 2021 में जीवन बीमा क्षेत्र का प्रदर्शन खासा बेहतर रहेगा।
क्या महामारी को देखते हुए आपने चालू वित्त वर्ष के लिए एलआईसी का कारोबार वृद्धि लक्ष्य कम कर दिया है?
हमने चालू वित्त वर्ष में 2.2 करोड़ पॉलिसियां बेचने और व्यक्तिगत कारोबार से पहले वर्र्ष में प्रीमियम आय के मद में 51,300 करोड़ रुपये अर्जित करने का लक्ष्य तय किया है। ये आंकड़े वित्त वर्ष 2020 में हमारे वास्तविक कारोबार से अधिक हैं। हम कारोबारी लक्ष्य कम करने के बारे में बिल्कुल नहीं सोच रहे हैं।
एलआईसी को कंपनियों के बॉन्ड में निवेश पर नुकसान होने की भी आशंका है?
कंपनियां बॉन्ड के मूलधन और इस पर जमा ब्याज का भुगतान कर रही हैं। नीतिगत तौर पर एलआईसी काफी सोच-समझकर निवेश करती है। बहुत कम कंपनियों ने मॉरेटोरियम लिया है, जो एलआईसी के कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश का 1 प्रतिशत भी नहीं है।
एलआईसी ने जहां भी निवेश कर रखे हैं वहां से भुगतान आना बदस्तूर जारी है। हमें नहीं लगता कि महामारी की वजह से कंपनियों के बॉन्ड में हमारे निवेश पर कोई बड़ा असर होगा। एलआईसी ऋण बहुत कम देती है और 90 प्रतिशत से अधिक कर्ज बॉन्ड के माध्यम से ही देती है।
चालू वित्त वर्ष में शेयर बाजार को लेकर क्या रणनीति रही है?
एलआईसी एक अलग किस्म की निवेशक है और बाजार में बदलती परिस्थितियों में खरीदारी और बिकवाली करती है। इस वित्त वर्ष में 31 अगस्त 2020 तक हमने 11,500 करोड़ रुपये से अधिक मुनाफा कमाया है। जहां तक शेयरों में निवेश की बात है तो हम अवसरों को ध्यान में रखते हुए निवेश करेंगे। 31 अगस्त तक शेयरों में हमने 40,769 करोड़ रुपये निवेश किए हैं, जबकि पिछले वर्ष 31 अगस्त तक यह आंकड़ा 25,516 करोड़ रुपये था।
एलआईसी के आईपीओ की क्या स्थिति है? सरकार इसमें कितना विनिवेश करना चाहती है?
भारत सरकार के निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) एलआईसी के आईपीओ की विभिन्न पहलुओं को देख रहा है। इसलिए इस संबंध में कोई टिप्पणी करना मेरे लिए उचित नहीं होगा।
क्या कोविड वैश्विक महामारी के कारण खुदरा ग्राहकों द्वारा पॉलिसियों के एवज में ऋण की मांग बढ़ी है?
चालू वित्त वर्ष में 31 अगस्त तक वितरित किए गए ऋण की संख्या में गिरावट आई है। एलआईसी ने 7,887.42 करोड़ रुपये के 10.9 लाख ऋण वितरित किए हैं जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा 11,125.52 करोड़ रुपये के 17 लाख ऋण का रहा था। इस प्रकार इसमें 35.87 फीसदी की कमी आई है।
जीवन बीमा कंपनियों पर क्षतिपूर्ति आधारित स्वास्थ्य पॉलिसी बेचने के लिए दबाव दिया जा रहा है। यदि नियामक की मंजूरी मिल जाती है तो यह एलआईसी के लिए कितना बड़ा नाटकीय बदलाव वाला होगा?
भारत में जीवन बीमा कंपनियों को केवल निर्धारित लाभ वाली स्वास्थ्य योजनाएं बेचने की अनुमति है जबकि क्षतिपूर्ति आधारित योजनाओं की बिक्री सामान्य बीमा कंपनियों और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों द्वारा की जाती है। नियामक द्वारा लगाई गई यह पाबंदी बेवजह नहीं है। स्वास्थ्य बीमा, विशेष तौर पर क्षतिपूर्ति वाली योजनाओं का कारोबार अलग तरीके का है और इसकी अपनी चुनौतियां हैं। इसके लिए विशेष बुनियादी ढांचे और चिकित्सा नेटवर्क की आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य बीमा कारोबार को लाभप्रद बनाए रखने की चुनौतियां कई गुना अधिक है। यही कारण है कि एकल स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को अक्सर नुकसान होता है। यदि जीवन बीमा कंपनियों को क्षतिपूर्ति आधारित स्वास्थ्य योजनाएं बेचने की अनुमति दी जाती है तो पहले स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं की चुनौतियों का दूर करना होगा और उसके बाद ही हम इससे नाटकीय बदलाव की अपेक्षा कर सकते हैं।
एलआईसी हमेशा से एजेंसी द्वारा संचालित रही है और अब उसमें आईडीबीआई बैंक आ गया है। क्या आप किसी अन्य बैंक के साथ करार करने की योजना बना रहे हैं?
आईडीबीआई बैंक हमारा एक महत्त्वपूर्ण बैंकएश्योरेंस साझेदार है और वर्ष 2019-20 के लिए उन्होंने 699.03 करोड़ रुपये के प्रीमियम के साथ 66,751 पॉलिसी खरीदने में सफल रहे हैं। यह हमारे सभी बैंकएश्योरेंस साझेदारों के बीच बेहतरीन प्रदर्शन है। कॉरपोरेट एजेंट के तौर पर नए बैंकों के साथ करार के लिए हमारा दरवाजा हमेशा खुला है और हम इस प्रकार के नए करार के लिए तत्पर हैं।
क्या एलआईसी आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी घटाने पर विचार कर रही है?
एलआईसी आईडीबीआई बैंक को पीसीए से बाहर लोने के लिए सभी तरह की मदद और काम कर रहा है। हालांकि आईडीबीआई बैंक ने लगातार दो तिमाहियों- मार्च 2020 और जून 2020- के दौरान मुनाफा दर्ज किया है। लेकिन वह पीसीए की सूची से बाहर नहीं हो सका है। एलआईसी के लिए फिलहाल कोई समय-सीमा निर्धारित करना संभव नहीं है और विशेष तौर पर मौजूदा कोविड संकट के दौर में हिस्सेदारी घटाने के लिए बाजार किस हद तक अनुकूल होगा यह कहना कठिन है।
कोविड-19 के कारण मृत्यु के अब तक कितने दावे एलआईसी के पास आए हैं?
हमें 10 सितबर 2020 तक 678 लोगों की कोविड-19 के कारण मृत्यु की सूचना मिली है जिनमें से 408 दावों को निपटाया जा चुका है।
पहली तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि में गिरावट दर्ज की गई है। जीवन बीमा क्षेत्र पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
पहली तिमाही के जीडीपी के आंकड़े हमें पहले ही प्राप्त हो चुके हैं जिनसे 23.9 फीसदी का संकुचन दिखता है। इसका मतलब साफ है कि रोजगार के अवसर घटे हैं और लोगों की आय कम हुई है। आने वाले दिनों में लोगों के उपभोग व्यवहार में निश्चित तौर पर बदलाव आएगा। रोजगार पर प्रभाव के कारण लोग अपनी मेहनत की कमाई को खर्च करने और बचत को लेकर कहीं अधिक सतर्क होंगे। ऐसे में जोखिम से बचने के लिए बीमा निश्चित तौर पर लोगों की प्राथमिकता होगी।