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कंपनी अधिनियम में बदलाव का असर, 499 दिन नहीं अब 60 दिन में होता है कंपनी क्लोजर

साल 2021-22 तक कंपनी अधिनियम के तहत स्वैच्छिक परिसमापन में औसतन 499 दिन लगते थे।

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- May 01, 2025 | 10:12 PM IST

कंपनी अधिनियम के अनुसार किसी कंपनी को बंद करने में लगने वाले समय में पिछले तीन वर्षों के दौरान खासी कमी आई है। यह औसतन 499 दिन से घटकर केवल 60 दिन रह गया है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएम-ईएसी) के वर्किंग पेपर के अनुसार दिवाला और ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने की समयसीमा अब घटकर 200 दिन रह गई है।

साल 2021-22 तक कंपनी अधिनियम के तहत स्वैच्छिक परिसमापन में औसतन 499 दिन लगते थे। मुख्य बाधाओं में कंपनी रजिस्ट्रार (आरओसी) द्वारा समाचार पत्रों में समापन की सूचना प्रकाशित करने में लगने वाला समय शामिल था। इसके अलावा हर चरण के लिए कोई निश्चित समयसीमा नहीं थी और दस्तावेज दोबारा प्रस्तुत करने के लिए कई बार मांग की जाती थी। सरकार ने साप्ताहिक या पाक्षिक नोटिस प्रकाशित करके इस प्रमुख मसले को हल किया, जिससे समयसीमा 195 दिन रह गई। पेपर में बताया गया है कि आईबीसी प्रक्रिया में देरी का कारण आयकर विभाग सहित विभिन्न विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) हासिल करने में लगने वाले समय और मानक संचालन प्रक्रिया में कमी रहा।

नवंबर 2021 में भारतीय दिवाला और ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि आयकर विभाग से एनओसी की कोई जरूरत नहीं है। अप्रैल 2022 में समयसीमा कम कर दी गई और आईबीबीआई मामलों को तेजी से निपटाने के लिए जांच-सूची के साथ स्वैच्छिक परिसमापन का अनुपालन प्रमाणपत्र भी लाया।

पेपर में कहा गया है कि आईबीबीआई के संशोधनों से पहले अंतिम रिपोर्ट जमा करने में लेनदारों वाले मामलों में औसत समय 499 दिन था। बिना लेनदारों वाले मामलों में 461 दिन लगते थे। वर्किंग पेपर में कहा गया है, ‘राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट (एनसीएलटी) स्तर पर प्रक्रिया तेज करने की जरूरत है ताकि अंतिम रिपोर्ट जमा करने के बाद कंपनियों के अंतिम समापन में लगने वाला समय कम किया जा सके।’

आईबीबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि दिसंबर 2021 तक स्वैच्छिक परिसमापन के लिए 49 प्रतिशत मामलों में अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी। मगर केवल 25 प्रतिशत मामलों में भंग करने के अंतिम आदेश पारित हुए थे। अलबत्ता दिसंबर 2024 तक स्वैच्छिक परिसमापन के लिए शुरू किए गए 2,133 मामलों में से 75 प्रतिशत में अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है और 54 प्रतिशत मामलों को विघटन के जरिए बंद कर दिया गया है। शेष 21 प्रतिशत मामले एनसीएलटी स्तर पर हैं।

First Published : May 1, 2025 | 10:07 PM IST