ईलॉन मस्क की टेस्ला भारतीय बाजार में आना तो चाहती है मगर कीमत और निवेश के अनुमान पर कुछ भी स्पष्ट नहीं बता रही है, जिसके कारण कंपनी के साथ बातचीत अटक रही है। टैक्सस में मुख्यालय वाली यह नामी इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) कंपनी ने अब तक यह नहीं बताया है कि भारत में उसकी कारों की कीमत क्या होगी।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि कंपनी ने निवेश के हिसाब-किताब का तरीका भी नहीं बताया और न ही यह बताया है कि वह भारत में कब प्रवेश करेगी। यह भी चिंता का विषय है।
मामले से वाकिफ एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘टेस्ला अपनी योजनाओं खास तौर पर भारत में वाहनों की कीमत के बारे में सही जानकारी नहीं देना चाहती। उसने यह भी नहीं बताया है कि कारखाना कब बनेगा और देश में गाड़ियों का उत्पादन कब शुरू होगा।’
सरकार कीमत की वजह से टेस्ला की योजना पर पैनी नजर रख रही है। इस समय टेस्ला का सबसे सस्ता मॉडल 48,950 डॉलर (40 लाख रुपये) का है। 2020 में टेस्ला बैटरी डे के दौरान मस्क ने ज्यादा किफायती मॉडल देने के लिए 25,000 डॉलर (20 लाख रुपये) की इलेक्ट्रिक कार बनाने की घोषणा की थी।
भारत सरकार को चिंता है कि अगर टेस्ला समझौता पक्का होने से पहले अपनी गाड़ियों की कीमत साफ नहीं करती है तो समझौते के बाद वह ज्यादा सस्ते मॉडल उतारकर भारतीय बाजार में बढ़त बना सकती है।
अधिकारी ने कहा, ‘कीमत ज्यादा रही तो टेस्ला इतनी गाड़ियां नहीं बेच सकेगी कि भारत में कारखाना लगाने का कोई फायदा हो। ऐसे में वह बेहद सस्ते मॉडल उतारकर यहां के बाजार की थाह ले सकती है। अगर बाद में उसे बाजार अच्छा नहीं लगा तो आयात शुल्क में रियायत का फायदा उठाने के बाद वह यहां से रुखसत हो सकती है।’
टेस्ला कीमत और उत्पादन की योजना के बारे में कुछ नहीं बता रही मगर वह प्रस्तावित निवेश के लिए कुछ शर्तों के साथ बैंक गारंटी देने को राजी हो गई है। अधिकारी ने कहा, ‘वे बैंक गारंटी देने को तैयार हैं मगर चाहते हैं कि चार्जिंग के बुनियादी ढांचे और डीलरशिप नेटवर्क पर होने वाला उनका खर्च भी निवेश का हिस्सा माना जाए।’ भारत कारखाने और मशीनों पर किए गए निवेश को ही पात्र निवेश मानता है।
देर का कारण प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को जारी एक निर्देश भी है। यह मंत्रालय ही सरकार की ओर से टेस्ला के साथ बात कर रहा है। उसे दूसरे बाजारों की तुलना में भारत में कारों की औसत कीमत का विश्लेषण करने को कहा गया है। पीएमओ ने यह समझने को भी कहा है कि शुल्क में ज्यादा कटौती से भारत के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम पर असर तो नहीं पड़ेगा।
मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि शुल्क में कटौती से पैदा होने वाली संभावित चुनौतियों के प्रति भी पीएमओ सतर्कता बरत रहा है। उसने कहा कि पीएमओ के साथ महीने भर पहले हुई बैठक के बाद से समझौते की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है।
बातचीत में एक रोड़ा टेस्ला की गुजारिश भी है, जिसमें उसने पूरी तरह तैयार वाहनों (सीबीयू) पर भी उतना ही शुल्क लेने को कहा है, जितना अलग-अलग पुर्जों में आयात होने वाले वाहन (सीकेडी) पर लगता है। फिलहाल 40,000 डॉलर से ऊपर कीमत वाले सीबीयू वाहन पर 100 फीसदी शुल्क लगता है और उससे नीचे के सीबीयू पर 70 फीसदी आयात शुल्क है। सीकेडी वाहनों को देश में ही असेंबल किया जाता है और उन पर 15 फीसदी आयात शुल्क लगता है।
अगर टेस्ला को सीकेडी के बराबर शुल्क पर आने की इजाजत मिल जाती है और वह 25,000 डॉलर (20 लाख रुपये) वाली प्रस्तावित कार भारत में उतार देती है तो वह लक्जरी कारों के साथ ही देश की मिड रेंज और प्रीमियम कारों को भी टक्कर देगी।
इस समय देश में सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक कार एमजी कॉमेट है, जिसकी कीमत केवल 7.98 लाख रुपये है। मगर यहां के ईवी बाजार की अग्रणी कंपनी टाटा मोटर्स का सबसे अधिक बिकने वाला नेक्सॉन ईवी 14.74 लाख से 19.94 लाख रुपये के बीच आता है।