स्टारलिंक की सैटेलाइट संचार सेवाएं भारत लाने के लिए भारती एयरटेल द्वारा स्पेसएक्स के साथ समझौते की घोषणा करने के महज एक दिन बाद ही जियो प्लेटफॉर्म्स ने भी इसी तरह की साझेदारी का ऐलान कर दिया है। दोनों सौदे एक जैसे हैं और एक बार जब अमेरिका की सैटेलाइट फर्म को भारत में व्यापार करने के लिए सभी अधिकार मिल जाएंगे तो दूरसंचार कंपनियां स्टारलिंक के उपकरण वितरित करेंगी और अपने ग्राहकों को स्टारलिंक सेवाओं की पेशकश करेंगी। विश्लेषकों का कहना है कि इन सौदों के बावजूद सैटेलाइट आधारित संचार सेवाओं से अल्पावधि में मोबाइल सेवाओं के बाजार में बड़ी उथल-पुथल की उम्मीद नहीं है।
जियो प्लेटफॉर्म्स ने कहा है कि वह अपने रिटेल आउटलेटों में न सिर्फ स्टारलिंक उपकरण उपलब्ध कराएगी, बल्कि कस्टमर सर्विस इंस्टॉलेशन के सपोर्ट और एक्टीवेशन के लिए एक तंत्र भी बनाएगी। कंपनी की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘स्टारलिंक, जियोएयरफाइबर और जियोफाइबर को त्वरित और किफायती तरीके से सबसे चुनौतीपूर्ण स्थानों तक हाई स्पीड इंटरनेट प्रदान करके संपूर्ण बनाता है।’
इसमें कहा गया है कि दोनों पक्ष डेटा ट्रैफिक के मामले में दुनिया के सबसे बड़े मोबाइल ऑपरेटर के रूप में जियो की स्थिति और देश भर में विश्वसनीय ब्रॉडबैंड सेवाएं देने के लिए अग्रणी लो अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट समूह ऑपरेटर के रूप में स्टारलिंक की स्थिति का लाभ उठाने की कोशिश करेंगे।
रिलायंस जियो के समूह सीईओ मैथ्यू ऊमेन ने कहा, ‘यह सुनिश्चित करना जियो की सर्वोच्च प्राथमिकता है कि हर भारतीय को (चाहे वे कहीं भी रहते हों) किफायती और हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड तक पहुंच मिले।’
इस बीच, भारती एंटरप्राइजेज के अध्यक्ष सुनील भारती मित्तल ने कहा है कि दूरसंचार और उपग्रह कंपनियों ने उनके इस आह्वान पर ध्यान दिया है कि वे एकजुट होकर अपनी ताकत को दोगुनी करें ताकि अभी तक पहुंच से दूर क्षेत्रों के साथ-साथ महासागरों और आकाश को जोड़ने का मिशन पूरा हो सके। उन्होंने पिछले सप्ताह बार्सीलोना में संपन्न मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस में तर्क देते हुए कहा था कि ‘यह लड़ने का समय नहीं है’, प्रतिस्पर्धा ब्रांडों और सेवाओं पर होनी चाहिए, न कि एकल पूंजीगत बुनियादी ढांचे के निर्माण पर।