टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टी स्वास्थ्य सेवा पहलों के लिए आवंटन पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार को बैठक करेंगे, क्योंकि सरकार 150 अरब डॉलर के टाटा समूह को नियंत्रित करने वाली दो धर्मार्थ संस्थाओं के प्रमुख सदस्यों के बीच तनाव कम करने के लिए कदम उठा रही है।
घटनाक्रम से अवगत लोगों ने बताया कि यह बैठक ट्रस्ट के अध्यक्ष नोएल टाटा और ट्रस्टी मेहली मिस्त्री के बीच पिछले महीने पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह को ट्रस्ट के नामित सदस्य के रूप में टाटा संस के बोर्ड से हटाने को लेकर कई सप्ताह तक चली तनातनी के बाद आयोजित की जा रही है।इस घटनाक्रम से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि शुक्रवार की बैठक में टाटा संस के बोर्ड से टाटा ट्रस्ट के किसी अन्य नामित सदस्य को हटाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है।
मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दोनों पक्षों से बातचीत की और उनसे मतभेदों को सुलझाने और समूह का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने का आग्रह किया। सूत्र ने बताया कि बैठक में टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन, वरिष्ठ वकील डेरियस खंबाटा और टाटा ट्रस्ट्स के वाइस चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन भी शामिल हुए।
शुक्रवार की बैठक के नतीजों पर सभी की नजर बनी रहेगी, क्योंकि टाटा ट्रस्ट्स (जिसकी टाटा संस में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है) समूह के प्रशासन और रणनीति पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव रखता है। ट्रस्ट के नामांकित व्यक्तियों के पास होल्डिंग कंपनी के बोर्ड के फैसलों पर प्रभावी वीटो का अधिकार है।
सिंह के निकलने से जुड़े विवाद के अलावा, ट्रस्टी इस बात पर भी बंटे हुए हैं कि क्या टाटा संस को शापूरजी पलोनजी समूह के नेतृत्व वाले अल्पसंख्यक शेयरधारकों को बाहर निकलने का रास्ता देने के लिए लिस्टिंग की कोशिश करनी चाहिए। कंपनी का भारतीय रिजर्व बैंक को ‘अपर-लेयर’ एनबीएफसी से पुनर्वर्गीकरण के लिए आवेदन अभी भी लंबित है।