facebookmetapixel
व्यापार घाटा घटने से भी रुपये को नहीं मिला सहारा, डॉलर के मुकाबले 90.87 के रिकॉर्ड निचले स्तर परइंडसइंड बैंक में 9.5% तक हिस्सेदारी खरीदेगा HDFC Bank, रिजर्व बैंक से मिली मंजूरीICICI Pru AMC IPO: अप्लाई करने का आखिरी मौका, अब तक कितना हुआ सब्सक्राइब; GMP क्या दे रहा इशारा ?क्या ₹3 लाख प्रति किलो पहुंचेगी चांदी? एक्सपर्ट्स ने बताया- निवेशकों को क्या सावधानी बरतनी चाहिएGold silver price today: सोने-चांदी की कीमतों में गिरावट, MCX पर देखें आज का भावडॉनल्ड ट्रंप ने BBC पर 40,000 करोड़ रुपये का मानहानि मुकदमा दायर कियाबायोकॉन ने नीदरलैंड में उतारी मोटोपे और डायबिटीज के इलाज की दवाजियोस्टार को मिला नया सीएफओ, जानिए कौन हैं जीआर अरुण कुमारकाम के बाद भी काम? ‘राइट टू डिसकनेक्ट बिल’ ने छेड़ी नई बहसलिशस ने रचा इतिहास, पहली बार 100 करोड़ रुपये का मासिक कारोबार

टाटा को टीसीएस से दम, प्रदर्शन शानदार

Last Updated- December 12, 2022 | 7:56 AM IST

टाटा संस के चेयरमैन के तौर पर एन चंद्रशेखरन द्वारा कार्यभार संभाले जाने के बाद से अब तक की अवधि में टाटा समूह की कंपनियों का प्रदर्शन शानदार रहा है। जबकि इस दौरान सेंसेक्स 28,761 अंक से बढ़कर 50,889 अंक तक पहुंच चुका है। हालांकि टाटा समूह काफी हद तक अपनी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) पर निर्भर रही। टीसीएस समूह की सबसे मूल्यवान कंपनी है और टाटा संस के शानदार प्रदर्शन में टीसीएस का योगदान उल्लेखनीय है।
चंद्रशेखरन के नेतृत्व में पिछले चार वर्षों के दौरान टाटा समूह का प्रदर्शन बेहतर रहा लेकिन अब समूह की किस्मत पहले के मुकाबले कहीं अधिक टीसीएस के प्रदर्शन पर निर्भर करती है। पिछले चार वर्षों के दौरान समूह की सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण लगभग दोगुना हो गया  जबकि इस अवधि में बेंचमार्क सेंसेक्स में महज 77 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।  
टाटा समूह की 16 प्रमुख कंपनियों (इन कंपनियों की सूचीबद्ध सहायक इकाइयों को छोड़कर) का समग्र बाजार पूंजीकरण शुक्रवार को 16.8 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह 21 फरवरी 2017 को चंद्रशेखरन द्वारा टाटा समूह की कमान संभाले जाने के समय 8.45 लाख करोड़ रुपये के बाजार पूंजीकरण के मुकाबले लगभग दोगुना है।
टाटा समूह की कंपनियों में टीसीएस के शेयर का प्रदर्शन बेहतरीन रहा और पिछले चार वर्षों के दौरान उसका बाजार पूंजीकरण बढ़कर लगभग 2.5 गुना हो गया। पिछले चार वर्षों के दौरान टाटा समूह की कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण में हुई बढ़त में टीसीएस का योगदान 78 फीसदी रहा। परिणामस्वरूप समूह की वित्तीय स्थिति चार साल पहले के मुकाबले आज कहीं अधिक टीसीएस पर निर्भर है। समूह के कुल बाजार पूंजीकरण में इस सॉफ्टवेयर कंपनी की हिस्सेदारी करीब 68 फीसदी है जो फरवरी 2017 में 57.4 फीसदी रही थी।
हाल के महीनों में टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और टाटा कंज्यूमर के शेयर में उल्लेखनीय तेजी के बावजूद उनका कुल बाजार पूंजीकरण टीसीएस के मुकाबले काफी कम है। समूह की लाभप्रदता में उल्लेखनीय योगदान के कारण काफी हद तक टीसीएस का वर्चस्व है। टीसीएस को हटा दिया जाए तो अन्य कंपनियों ने पिछले तीन वर्षों के दौरान घाटा दर्ज किया है। उदाहरण के लिए, टीसीएस को छोड़कर टाटा समूह की कंपनियों ने वित्त वर्ष 2020 में 3,077 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया जबकि अप्रैल से दिसंबर 2020 यानी वित्त वर्ष 2021 के पहले नौ महीनों के दौरान उनका शुद्ध घाटा 3,753 करोड़ रुपये रहा।
समूह की कंपनी टाटा मोटर्स और टाटा स्टील ने दिसंबर 2020 तिमाही के दौरान मुनाफे में उल्लेखनीय सुधार होने की सूचना दी लेकिन टीसीएस को छोड़कर समूह की कंपनियों ने नुकदान दर्ज किया। पिछले चार वर्षों के दौरान समूह के ऋण स्तर में भी लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। टीसीएस को छोड़कर टाटा समूह की सूचीबद्ध कंपनियों ने सितंबर 2020 के अंत में 3.2 लाख करोड़ रुपये का ऋण बोझ दर्ज किया जो मार्च 2017 के अंत में 2.5 लाख करोड़ रुपये और मार्च 2015 के अंत में 2.3 लाख करोड़ रुपये रहा था।
टीसीएस को छोड़कर टाटा समूह की कंपनियों के बहीखाते पर शुद्ध ऋण (नकदी एवं नकदी समतुल्य परिसंपत्तियों को घटाकर सकल ऋण) में 2017 के बाद काफी वृद्धि हुई है। यह मार्च 2017 के अंत में 1.76 लाख करोड़ रुपये था जो बढ़कर सितंबर 2020 के अंत तक करीब 51 फीसदी बढ़कर 2.66 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। परिणामस्वरूप गैर-टीसीएस कंपनियों के लिए एकीकृत ऋण बनाम इक्विटी अनुपात सितंबर 2020 के अंत में 1.62 गुना हो गया जो सितंबर 2017 के अंत में 1.4 गुना रहा था।

First Published - February 22, 2021 | 11:44 PM IST

संबंधित पोस्ट