टाटा कैपिटल हेल्थकेयर फंड II (TCHF II) ने पूरे भारत में अपनी डायलिसिस सर्विस का विस्तार करने के लिए मुंबई स्थित एपेक्स किडनी केयर प्राइवेट लिमिटेड (Apex Kidney Care Private Ltd- AKC) में 10 मिलियन डॉलर तक का निवेश किया है। हालांकि, टाटा ग्रुप की यूनिट ने इस डायलिसिस चेन में ली जाने वाली इक्विटी हिस्सेदारी का खुलासा नहीं किया।
एपेक्स किडनी केयर के ग्रुप CEO इंद्रनील रॉय चौधरी ने कहा कि मीडियम टर्म में पूंजीगत खर्च 150 करोड़ रुपये आंका गया है। ज्यादातर फंड का यूज प्राइवेट सेक्टर के बिजनेस को बढ़ाने के लिए किया जाएगा, जिसमें स्टैंडअलोन सेंटर और अस्पताल या नर्सिंग होम के परिसर में शॉप-इन-शॉप यानी सेंटर ऐंड होम डायलिसिस सर्विसेज शामिल होंगी।
वर्तमान में, AKC 6 स्टैंडअलोन सेंटर चलाती है और मीडियम टर्म में इसे 60 से ज्यादा सेंटर तक ले जाने की योजना है। कंपनी अस्पतालों और नर्सिंग होम के साथ 61 केंद्र चलाती है और सरकार और नगर निकायों के सहयोग से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत 84 सेंटर्स का प्रबंधन करती है।
TCHF II के पार्टनर वामेश चोवतिया ने कहा कि फंड पूंजी निवेश के लिए समग्र अप्रोच अपनाता है और AKC जैसी कंपनियों का सहयोग करता है जो स्वास्थ्य सेवा में अंतराल को कम करना चाहती हैं।
भारत में अनुमानित 2 मिलियन क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) स्टेज-5 के मरीज हैं, जिनका किडनी फंक्शन 15 प्रतिशत से कम है। हर साल इसमें 2 लाख से 2.2 लाख सीकेडी-5 मरीज जुड़ रहे हैं। वर्तमान में, भारत में सालाना आधार पर लगभग 21 मिलियन यानी 2.1 करोड़ डायलिसिस किए जाते हैं, और टाटा हेल्थकेयर फंड के आकलन के अनुसार, यह देश की कुल वार्षिक आवश्यकता का 11 प्रतिशत होने का अनुमान है, जो बेहद कम है।
TCHF एक ग्रोथ की तरफ फोकस रखने वाला प्राइवेट इक्विटी फंड है जो भारत में स्वास्थ्य सेवा और लाइफ साइंस सेक्टर पर केंद्रित है। यह फंड टाटा कैपिटल लिमिटेड की तरफ से स्पांसर किया जाता है। TCHF ने दो फंडों – TCHF I (2012) और TCHF II (2022) से लगभग 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाए हैं। दोनों फंडों के जरिये, TCHF ने 16 कंपनियों में निवेश किया है और अब तक 6 कंपनियों से सक्सेसफुली बाहर निकल चुका है।