गो फर्स्ट की तरफ से उड़ानें रद्द किए जाने और दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के एक दिन बाद स्पाइसजेट ने ऐलान किया है कि खड़े 25 विमानों को पटरी पर लाने के लिए उसने एक योजना बनाई है।
स्पाइसजेट के बेड़े में 72 विमान हैं और इनमें से 31 स्टोरेज में हैं। 3 मई तक की जानकारी के मुताबिक, बाकी 41 विमान सेवा में हैं। यह जानकारी एविएशन एनालिटिक्स फर्म सीरियम के आंकड़ों से मिली। अगर कोई विमान 30 दिन तक एक बार भी कॉमर्शियल उड़ान नहीं भरता है तो उस विमान को स्टोरेज में रखा माना जाता है।
रोजाना 200 उड़ानों का परिचालन करने वाली गो फर्स्ट के घटनाक्रम के बाद भारतीय विमानन बाजार में शून्य पैदा हुआ है। अपने खड़े विमानों को बहाल करके स्पाइसजेट इस शून्य को भरना चाह रही है।
स्पाइसजेट ने कहा कि विमानों को बहाल करने के लिए रकम का इंतजाम सरकार की एमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ECLGS) से निकासी और बेहतर नकदी अर्जन से होगी।
विमानन कंपनी इन विमानों को पटरी पर लाने के लिए पहले ही 400 करोड़ रुपये जुटा चुकी है, जिससे उसके राजस्व में और बढ़ोतरी होगी। स्पाइसजेट ने रकम की कमी के चलते 31 विमान खड़े कर दिए हैं।
दूसरी ओर, गो फर्स्ट के कुल 57 विमानों में से 25 विमान अमेरिकी कंपनी प्रैट ऐंड व्हिटनी की तरफ से इंजन सप्लाई में देरी के चलते खड़े हैं। चूंकि खड़े विमानों की संख्या समय के साथ बढ़ती गई, ऐसे में गो फर्स्ट नकदी की किल्लत से जूझने लगी। इसी वजह से दिवालिया प्रक्रिया शुरू हुई।
स्पाइसजेट के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक (MD) अजय सिंह ने कहा, हम जल्द से जल्द अपने खड़े विमानों को पटरी पर लाने पर काम कर रहे हैं। ECLGS के तहत विमानन कंपनी को मिली रकम के ज्यादातर हिस्से का इस्तेमाल इस काम में होगा, जिससे हमें आगामी पीक ट्रैवल सीजन में मदद मिलेगी।
गो फर्स्ट ने मंगलवार को इंजन विनिर्माता प्रैट ऐंड व्हिटनी को विमानन की खराब स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया और गुरुवार तक की सभी उड़ानें निलंबित कर दी।
इंजन विनिर्माता के प्रवक्ता ने कहा, प्रैट ऐंड व्हिटनी अपने विमानन ग्राहकों की कामयाबी को लेकर प्रतिबद्ध है और हम सभी ग्राहकों के लिए डिलिवरी की समयसीमा को लेकर प्राथमिकता बनाए हुए हैं। प्रैट ऐंड व्हिटनी, गो फर्स्ट से संबंधित मार्च 2023 के आर्बिट्रेशन नियमों का अनुपालन कर रही है। चूंकि यह मामला अभी कानूनी दायरे में है, लिहाजा हम इस पर और टिप्पणी नहीं कर सकते।
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पिछले तीन साल में 3,200 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश हासिल कर चुकी गो फर्स्ट ने कहा कि इंजन विनिर्माता की तरफ से आर्बिट्रेशन अवॉर्ड का अनुपालन करने से इनकार करने के बाद कंपनी दिवालिया अर्जी के लिए बाध्य हुई।
कंपनी ने कहा, इस आदेश में प्रैट ऐंड व्हिटनी को 27 अप्रैल तक कम से कम 10 स्पेयर लीज इंजन बिना किसी देरी के देने और दिसंबर तक हर महीने 10 स्पेयर लीज इंजन देने को कहा गया है ताकि गो फर्स्ट पूर्ण परिचालन की स्थिति में आ जाए और अपनी वित्तीय स्थिति बहाल कर सके।
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विमानन कंपनी ने कहा, एमरजेंसी आर्बिट्रेटर के आदेश के बावजूद प्रैट ऐंड व्हिटनी ऐसा करने में नाकाम रही और कहा है कि उसके पास स्पेयर लीज इंजन उपलब्ध नहीं है।
गो फर्स्ट ने आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के सामने खड़े विमानों के लिए 8,000 करोड़ रुपये मुआवजे का दावा किया था।
विमानों को खड़े किए जाने से कंपनी को राजस्व का नुकसान हुआ और अतिरिक्त 10,800 करोड़ रुपये खर्च हुए।
कंपनी के बैंकरों की बैठक हो रही है, जिसमें स्थिति की समीक्षा की जाएगी और आगे उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा होगी।