परदेस के आसमान में परवाज भरने के लिए अपने पंख तोल रही विमानन कंपनी स्पाइस जेट को अब टाटा के सहारे का खयाल आया है। कंपनी चाहती है कि उसके निदेशक मंडल में टाटा समूह का भी प्रतिनिधित्व हो।
इसके पीछे उसकी मंशा टाटा की निपुणता और कौशल से फायदा उठाने की है।
सस्ते टिकट पर आसमान की सैर कराने वाली इस कंपनी ने अपना अरमान छिपाया नहीं है। उसके कार्यकारी चेयरमैन सिद्धांत शर्मा ने इसे जगजाहिर कर दिया है।
उन्होंने कहा, ‘हम कब से चाहते हैं कि हमारे निदेशक मंडल में टाटा की भी शिरकत हो। हमारे लिए वाकई यह बहुत खुशी की बात होगी।’
हालांकि शर्मा यह भी जानते हैं कि टाटा के पास शायद इसके लिए वक्त नहीं होगा। इसीलिए उन्होंने कहा, ‘हालांकि टाटा के पास इसके लिए शायद ही समय हो। कोरस के अधिग्रहण के बाद अब वह जगुआर-लैंड रोवर सौदे के लिए कमर कस चुका है, इसलिए समय की कमी तो लाजिमी है।’
इसके बावजूद कंपनी टाटा का सहारा आखिर क्यों चाहती है। इस सवाल के जवाब में शर्मा ने कहा कि आटा अगर किसी कंपनी के बोर्ड में शामिल होता है, तो वह अपना सबसे दक्ष प्रतिनिधि वहां भेजता है।
वह प्रतिनिधि उस क्षेत्र का गहरा जानकार होता है। जानकारी के साथ-साथ वह अपने साथ प्रशासनिक कौशल भी लाता है। यदि टाटा स्पाइसजेट के बोर्ड में आएगा यदि स्पाइसजेट में भी उन्होंने कहा कि कोकरस और संभावित जगुआर लैंड रोवर सौदे के कारण हालांकि टाटा के हाथ भरे हुए हैं।
टाटा को बोर्ड में लेने के पीछे शर्मा ने तर्क दिया कि यदि वे टाटा की किसी भी कंपनी में अपने यहां से किसी को बोर्ड में देते हैं तो वह अपने क्षेत्र का विशेषज्ञ होगा और उससे अच्छा निगमित प्रशासन सुनिश्चित होगा।
उन्होंने कहा कि टाटा की संस्कृति देश में सबसे अच्छी संस्कृति मानी जाती है। वे एकीकरण और अन्य कुछ क्षेत्रों में बेजोड़ हैं।
वर्ष 2006 के अंत तक टाटा समूह की कंपनी इवार्ट इन्वेस्टमेंट ने स्पाइसजेट में सात प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी लेकिन इतना कम निवेश उसे एयरलाइनर के बोर्ड में शामिल होने की इजाजत नहीं देता।