आरपीजी समूह की 800 करोड़ रुपये की पूंजी वाली इकाई स्पेंसर्स रिटेल निजी लेबल और विदेशी परिधान ब्रांडों की शुरुआत कर फैशन उत्पाद की अपनी रेंज का विस्तार करेगी।
कंपनी अपनी छवि को सिर्फ फूड रिटेल चेन तक ही सीमित नहीं रखना चाहती है, बल्कि वह एक फैशन-केंद्रित ब्रांड के रूप में अपनी छवि मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है। स्पेंसर्स रिटेल के उपाध्यक्ष (विपणन) समर सिंह शेखावत ने कहा, ‘हम हमेशा से फूड एवं रिटेलिंग ब्रांड के रूप में जाने जाते रहे हैं।
अब हमने अपनी छवि में बदलाव लाने और फैशन सेगमेंट पर ध्यान देने की योजना बनाई है।’ फिलहाल स्पेंसर्स रिटेल के कुल राजस्व में फैशन उत्पादों की भागीदारी 10 फीसदी है। शेखावत ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि मार्च 2009 के अंत तक कुल राजस्व में फैशन उत्पादों की भागीदारी बढ़ कर 25-30 फीसदी हो जाएगी। उस वक्त कंपनी का कारोबार तकरीबन 2000 करोड़ रुपये का हो जाएगा।’
स्पेंसर्स के फैशन उत्पाद किफायती होंगे। ये उत्पाद 199 रुपये से लेकर 1000 रुपये की रेंज में उपलब्ध होंगे। शुरू में ये उत्पाद स्पेंसर के बड़े आकार वाले स्टोरों में ही उपलब्ध होंगे। इन बड़े स्टोरों में 25,000 से 70,000 वर्ग फुट जगह में से 25 फीसदी जगह फैशन उत्पादों के लिए होगी। फिलहाल इन स्टोरों में फैशन उत्पादों के लिए 10 फीसदी जगह रखी गई है।
कंपनी आईलैंड मोंक्स (पुरुषों और महिलाओं के लिए कैजुअल वियर), मार्क निकोलस (फॉर्मल वियर), स्कोरेज (स्पॉट्र्सवियर), देताइल्ज (बेसिक वियर), असंख्य (एथनिक और फ्यूजन वियर), पुड्डलेस (दो वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए) और लिटिल डेविल्स (2 से 14 वर्ष के बीच के बच्चों के लिए) जैसे परिधानों में अपने निजी लेबल पेश करेगी। स्पेंसर्स यू एन आई ब्रांड के तहत फैशन उत्पादों में निजी लेबल लांच करेगी। इस ब्रांड में बैग, जंक ज्वेलरी, चमड़ा के उत्पाद, बेल्ट आदि शामिल हैं। वहीं निकोलस ब्रांड महिला और पुरुष दोनों के लिए है।
कंपनी अपनी विपणन टीम में फेरबदल कर रही है। कंपनी फैशन वस्तुओं की रिटेलिंग में अनुभव रखने वाले डिजाइनरों को शामिल करेगी। शेखावत ने बताया, ‘डिजाइनरों की नियुक्ति देश के प्रमुख डिजाइन स्कूलों से की जाएगी वहीं निर्माण आदि की जिम्मेदारी बाहरी कंपनियों को सौंपी जाएगी।’ स्पेंसर्स की योजना ‘लैक्मे फैशन वीक’ या ‘विल्स फैशन वीक’ की तरह फैशन शो आयोजित करने की भी है।