सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के श्रीपेरंबदूर संयंत्र में 28 दिन के बाद भी हड़ताल का अभी तक समाधान नहीं हो पाया है। राज्य सरकार, कर्मचारियों और कंपनी के बीच वार्ता के संबंध में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने इस गतिरोध के लिए विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाली यूनियन – सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) को जिम्मेदार ठहराया है।
सरकारी सूत्र के अनुसार हालांकि कंपनी ने अपने कर्मचारियों से बात करने और उनकी प्रमुख मांगों को स्वीकार करने की इच्छा जताई है, लेकिन सीटू इस मसले के समाधान में बाधा डाल रही है। सरकारी सूत्र ने कहा ‘सीटू चाहती है कि उनकी यूनियन को स्वीकार किया जाए और वह जोर दे रही है कि यह बातचीत केवल उनके नेताओं के साथ होनी चाहिए, जो सैमसंग के कर्मचारी नहीं हैं।’
शनिवार को मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने उद्योग मंत्री टीआरबी राजा, सूक्ष्म, लघु और मध्य उद्यम (एमएसएमई) मंत्री टीएम अनबरसन और श्रम मंत्री सीवी गणेशन को इस संकट का जल्द समाधान तलाशने के लिए बातचीत का नेतृत्व करने का निर्देश दिया।
दिलचस्प बात यह है कि एक अन्य सूत्र ने संकेत दिया है कि इस हड़ताल से सैमसंग के उत्पादन पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। चेन्नई के बाहरी इलाके में स्थित दक्षिण कोरियाई समूह के इस सयंत्र में 9 सितंबर को करीब 1,500 कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे। अन्य मांगों के साथ-साथ वे अधिक वेतन, अपने यूनियन की मान्यता और बेहतर सुविधाओं की मांग कर रहे थे।
कंपनी ने बयान में कहा है ‘चेन्नई संयंत्र में हमारे स्थायी विनिर्माण कर्मचारियों का औसत मासिक वेतन इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में काम करने वाले समान कर्मचारियों के औसत वेतन का 1.8 गुना है। हमारे कर्मचारी ओवरटाइम वेतन और अन्य भत्तों के लिए भी पात्र हैं तथा कंपनी कार्यस्थल का ऐसा वातावरण उपलब्ध करती है जो स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण के अधिकतम मानकों को सुनिश्चित करता है, जिसमें निःशुल्क शटल बसें और भोजन भी शामिल हैं।’