भारत में स्मार्टफोन की फाइनल असेंबलिंग के मामले में सैमसंग की वैश्विक संख्या को शायद उतना महत्त्व नहीं दिया जा सकता जितना ऐपल इंक को दिया जाता है। ऐपल की आक्रामक निर्यात रणनीति और ज्यादा औसत बिक्री मूल्य की वजह से उसका दबदबा ज्यादा है लेकिन वास्तविकता यह है कि सैमसंग अपनी अमेरिकी प्रतिस्पर्धी के मुकाबले काफी आगे है। एसऐंडपी ग्लोबल के एक शोध से पता चला है कि वर्ष 2024 में भारत में स्मार्टफोन की वैश्विक फाइनल असेंबली संख्या में सैमसंग की भागीदारी 25 फीसदी थी जबकि इस अवधि में क्यूपरटिनो की ऐपल इंक के लिए यह आंकड़ा सिर्फ 15 फीसदी था।
सैमसंग के लिए स्मार्टफोन असेंबली में उसका सबसे बड़ा हिस्सा वियतनाम में है जो भारत के दोगुना से भी ज्यादा 55 प्रतिशत है। ब्राजील 12 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है। ये शीर्ष तीन असेंबली बाजार हैं।
ऐपल इंक के मामले में विभिन्न देशों में उसका एक्सपोजर अलग अलग है। ऐपल के लिए चीन अभी भी 83 प्रतिशत के साथ बड़ा बाजार है। यह वह बाजार है जहां से सैमसंग ने वर्षों पहले चरणबद्ध तरीके से असेंबलिंग का काम बंद कर दिया और वियतनाम तथा भारत में शिफ्ट होना पसंद किया। चीन और भारत के अलावा, ऐपल का ब्राजील में 2 प्रतिशत और कुछ अन्य देशों में थोड़ा एक्सपोजर है।
फिर भी, सैमसंग और ऐपल दोनों में एक समानता यह है कि वे अमेरिका में अपना फोन असेंबल नहीं करती हैं। यही कारण है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने हाल में ऐपल के सीईओ टिम कुक और अन्य को स्मार्टफोन आयात करने पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, जिसका उद्देश्य उन्हें अमेरिका में निर्माण के लिए मजबूर करना था। अगर ऐसा हुआ तो इससे अच्छी-खासी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है।
बिक्री में वैश्विक शिपमेंट की भागीदारी की बात करें तो 2024 में भारत से सैमसंग की भागीदारी 9 प्रतिशत होने का अनुमान था जो आईफोन (5 फीसदी) की तुलना में बहुत अधिक है। लेकिन कोरियाई दिग्गज की वियतनाम (जहां वह सबसे अधिक फोन असेंबल और निर्यात करती है) से शिपमेंट भागीदारी महज 2 प्रतिशत थी।