बीएस बातचीत
सरकार ने हाल में कुछ श्रेणी के टायरों के आयात पर अंकुश लगाया है। जेके टायर ऐंड इंडस्ट्रीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक रघुपति सिंघानिया ने टीई नरसिम्हन से बातचीत में कहा कि सरकार के इस निर्णय से घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी। कोविड-19 के प्रभाव के बारे में उन्होंने कहा कि इसने कंपनी को अपनी विस्तार योजनाओं को फिलहाल टालने के लिए मजबूर किया है। मुख्य अंश:
कोविड-19 ने टायर उद्योग को किस प्रकार प्रभावित किया है?
वित्त वर्ष 2020 के दौरान वाहन उद्योग में नरमी दर्ज की जा रही थी। लॉकडाउन ने उसे कहीं अधिक प्रभावित किया है जिसकी मार टायर सहित ऑटोमोटिव और सहायक उद्योग पर भी पड़ी है। हालांकि टायर श्रेणी, विशेष तौर पर रीप्लेसमेंट श्रेणी में जून 2020 में सुधार दिखा है। लॉकडाउन के दौरान आवश्यक वस्तुओं के परिवहन के कारण रीप्लेसमेंट श्रेणी में मांग बरकरार रही, खासकर वाणिज्यिक वाहनों के लिए। कृषि श्रेणी में भी इसकी वृद्धि बरकरार रही। वृद्धि को सबसे अधिक झटका ओईएम श्रेणी में लगा जो अब धीरे-धीरे तेजी पकडऩे लगी है। कुल मिलाकर रीप्लेसमेंट और ग्रामीण श्रेणी में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं।
उद्योग (वाहन एवं टायर) सुधार की राह पर कब तक लौटेगा?
दोनों उद्योगों में फिलहाल हमें अटकी हुई मांग दिख रही है और यह कहना उचित होगा कि हम धीरे-धीरे सुधार की राह पर अग्रसर हैं। हालांकि श्रमिकों की उपलब्धता हो अथवा आपूर्ति शृंखला या डीलर नेटवर्क, विनिर्माता अभी भी अपने परिचालन को सुचारु करने में लगे हैं। स्थानीय लॉकडान के कारण भी स्थानीय स्तर पर इस प्रकार के व्यवधान पैदा हो रहे हैं। हालांकि हम उम्मीद करते हैं कि आगामी तिमाही में स्थिति बेहतर होगी। मांग के मोर्चे पर भी अच्छे मॉनसून और कृषि क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन के कारण बेहतर संभावनाएं दिख रही हैं। आगामी त्योहारी सीजन से भी इस रफ्तार को बल मिलेगा और अम इस कैलेंडर वर्ष के अंत तक कोरोनावायरस पूर्व के बिक्री स्तर तक पहुंचने की उम्मीद कर रहे हैं।
निकट भविष्य में वृद्धि को किन श्रेणियों से रफ्तार मिलेगी?
टायर उद्योग में रीप्लेसमेंट श्रेणी से सुधार की प्रक्रिया को लगातार रफ्तार मिलेगी। वास्तव में जून 2020 में रीप्लेसमेंट कारोबार में हमने दो अंकों में वृद्धि दर्ज की है। हालांकि ओईएम श्रेणी में सुधार की रफ्तार सुस्त है। लेकिन कृर्षि श्रेणी में मांग काफी अच्छी दिख रही है। रीप्लेसमेंट बाजार में वाणिज्यिक श्रेणी के अलावा आगे चलकर दोपहिया और तिपहिया सहित यात्री कार श्रेणी से वृद्धि को रफ्तार मिलेगी।
चीन से टायर के आयात पर पाबंदी लगाए जाने से भारतीय विनिर्माताओं को कितनी मदद मिलेगी?
पाबंदियां सभी देशों में लगाई गई हैं और इसलिए इस श्रेणी में ‘आत्मनिर्भर भारत’ को सुनिश्चित किया गया है। सौभाग्य से यह उद्योग पहले से ही अग्रणी रहा है और सभी प्रकार के टायर के विनिर्माण एवं प्रौद्योगिकी के लिहाज से प्रति हम वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी रहे हैं। आयात पर अंकुश लगाए जाने से निश्चित तौर पर क्षमता उपयोगिता को बेहतर करने और घरेलू एवं निर्यात बाजार के लिए क्षमता विस्तार करने में मदद मिलेगी। इससे मेक इन इंडिया पहल को निश्चित तौर पर बढ़ावा मिलेगा।
पाबंदियां लगाए जाने के बाद आयात में किस हद तक गिरावट आएगी? ऐसा किस श्रेणी में दिखेगा?
ये पाबंदियां जून 2020 से प्रभावी हुई हैं और इसलिए इसके प्रभाव का आकलन करना फिलहाल जल्दबाजी होगी, खासकर ऐसे बाजार में जो कोविड वैश्विक महामारी के कारण फिलहाल पूरी तरह सुचारु भी नहीं हो पाया है। इसलिए इसके प्रभाव के आकलन के लिए फिलहाल हमें इंतजार करना होगा।
क्या आप अपनी निवेश योजनाओं को आगे बढ़ाएंगे?
अभी हमने अपनी विस्तार योजनाओं को टाल दिया है और बाद में उसकी समीक्षा की जाएगी। फिलहाल हम केवल आवश्यक मद में ही पूंजीगत खर्च कर रहे हैं। बाजार में स्थिरता आने पर मांग प्रवृत्तियों को देखते हुए हम उस पर गौर करेंगे।