कोविड-19 महामारी से विलय एवं अधिग्रहण (एमऐंडए) गतिविधि प्रभावित हुई है, लेकिन रिमोट वर्किंग परिवेश में भी सौदे करने के विकल्प बरकरार हैं। खरीदार और विक्रेता जूम कॉल पर इसे लेकर बातचीत कर रहे हैं। उनका कहना है कि परिसंपत्तियों की पारंपरिक जांच प्रक्रिया में अनुमान के मुकाबले लंबा समय लग रहा है।
एमऐंडए सलाहकारों का कहना है कि कुछ खरीदार समझौते में ऐसा क्लॉज पर भी ध्यान दे रहे हैं जिस पर पूरी सौदा प्रक्रिया बाद की तारीख पर पारंपरिक सत्यापन पर आधारित है।
भारत ने इस साल अब तक 47.8 अरब डॉलर के सौदे दर्ज किए हैं, जबकि 2020 के पूरे कैलेंडर वर्ष के लिए यह आंकड़ा 120.3 अरब डॉलर था।
2020 में कई सौदे हुए, जिनमें रिलायंस जियो के कुछ हिस्से की हिस्सेदारी बिक्री भी शामिल थी। ये सौदे पिछले साल देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान हुए थे। वकीलों का कहना है कि महामारी के दौरान, एमऐंडए में जांच प्रक्रिया संभावित खरीदारों को लक्ष्य के कॉरपोरेट ढांचे और व्यवसाय, परिसंपत्तियों और देनदारियों के साथ साथ कानूनी देयताओं, और मूल्य प्रस्ताव पर जानकारी लगातार मुहैया कराएगी, जिससे सौदे के लिए उचित ढांचा निर्धारित करने में मदद मिलेगी।
डीएसके लीगल में पार्टनर अपराजित भट्टाचार्य ने कहा, ‘महामारी और उसके बाद लॉकडाउन की वजह से जिस पर प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखा है, वह यह है कि सौदों पर ध्यान घटा है और सौदों की समय-सीमा बढ़ी है जिसकी वजह से सौदे विफल रहे हैं।’
साइट विजिट यानी परियोजना स्थल पर जाने और सार्वजनिक कार्यालयों पर पारंपरिक छानबीन करने की प्रक्रिया प्रभावित हुई है, जिससे विलंब को बढ़ावा मिला है। चूंकि सौदों को लेकर जटिलताएं पिछले 14 महीनों के दौरान बढ़ी हैं, साथ ही लॉकडाउन संबंधित प्रतिबंधों से पारंपरिक बैठकों और परियोजना स्थानों पर निरीक्षण में कमी आई है।
वर्चुअल डेटा रूम्स और ऑनलाइन कॉल अब सामान्य बात हो गई है। सर्च रिजल्ट (खासकर सार्वजनिक कार्यालयों से) में लंबा समय लग रहा है, जिससे सौदों पर हस्ताक्षर और पूरा होने के बीच अवधि बढ़ रही है।
एक वकील ने कहा, ‘लॉकडाउन के बावजूद, एमऐंडएम प्रक्रिया धीमी नहीं पड़ी है। इसके बजाय, हम इसमें तेज वृद्घि दर्ज कर रहे हैं। सौदे की जांच प्रक्रिया भी बदली है। एक उदाहरण में, द्रोण का भी पारंपरिक सत्यापन के लिए इस्तेमाल किया गया था।’
शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के एक संभावित बोलीदाता ने कहा कि उससे सभी कागजात कार्यालय भेजने और बोली प्रक्रिया से पहले कंपनी के मुख्यालय नहीं आने को कहा गया था।
बोलीदाता ने कहा, ‘सभी कागजी कार्य हमारे सलाहकारों द्वारा किया गया था और हमने संयंत्रों और कारखानों में जाना जरूरी नहीं समझा, क्योंकि कंपनी अधिकारियों के साथ बैठकें जूम कॉल पर हो गई थीं। लेकिन सौदे पूरे होने की प्रक्रिया में सामान्य के मुकाबले ज्यादा समय लग रहा है।’
एमऐंडए सलाहकारों का कहना है कि कई कंपनियों को लॉकडाउन की वजह से बिक्री में भारी गिरावट का सामना करना पड़ा और वे हिस्सेदारी बेचने या पूरा व्यवसाय बेचने की संभावना तलाशेंगी।
