संकट से जूझ रहे दूरसंचार उद्योग को उबारने के लिए राहत पैकेज का ऐलान करते हुए आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्पेक्ट्रम से जुड़ा भंगतान चार साल तक टालने समेत कई उपायों को मंजूरी दे दी। इस क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए सुरक्षा उपायों के साथ स्वत: मार्ग के जरिये 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति भी दी गई है। संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इन संरचनात्मक सुधारों से दूरसंचार क्षेत्र के ढांचे में व्यापक बदलाव आएगा।
भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने कहा, ‘नए सुधारों से भरोसा मिलता है कि कि उद्योग निडर होकर निवेश करने और देश के डिजिटल अभियान को बढ़ावा देने में सक्षम होगा। यह ठोस पहल 1999 की राष्टï्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के निर्णय की याद दिलाती है, जब दूरसंचार उद्योग को प्रोत्साहित किया गया था और सभी भारतीयों के लिए किफायती मोबाइल सेवाओं का युग शुरू हुआ था।’
संचार मंत्री ने कहा कि इन उपायों से दूरसंचार सेवा प्रदाताओं की तरलता तथा नकदी प्रवाह बढ़ेगा और उन बैंकों को भी मदद मिलेगी, जिन्होंने इस क्षेत्र में निवेश किया हुआ है। मंत्रिमंडल ने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाये के भुगतान तथा अन्य देनदारियों के भुगतान के लिए चार साल की मोहलत भी दी है। यह मोहलत या मॉरेटोरियम इसी साल 1 अक्टूबर से लागू होगी। लेकिन यह योजना वैकल्पिक होगी और जो कंपनी इसका लाभ लेना चाहेगी, उसे बकाये पर एमसीएलआर से ऊपर 2 फीसदी की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा। पिछली नीलामी (2021 को छोड़कर) में खरीदे गए स्पेक्ट्रम के बकाये का भुगतान चार साल तक टाला गया है और इस पर ब्याज का भुगतान किया जाएगा तथा यह राशि एनपीवी के द्वारा सुरक्षित होगी।
कंपनियों को मॉरेटोरियम अवधि समाप्त होने के बाद बकाया राशि का भुगतान करना होगा अन्यथा सरकार टाले गए भुगतान को इक्विटी में बदलने का विकल्प अपना सकती है। इसे वित्त मंत्रालय द्वारा अंतिम रूप दिया जाएगा। दूरसंचार क्षेत्र में सुरक्षा उपायों के साथ स्वत: मार्ग के जरिये 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति दी गई है। वर्तमान में दूरसंचार क्षेत्र में स्वत: मार्ग के जरिये 49 फीसदी एफडीआई की अनुमति है। एफडीआई की अनुमति उन देशों से है, जहां से केंद्र सरकार ने भारत में निवेश करने की अनुमति दी है।
सर्वोच्च अदालत के निर्णय के साथ किसी तरह का विवाद न हो, इसके लिए सरकार ने एजीआर की परिभाषा को तर्कसंगत बनाने का निर्णय किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2019 में दिए अपने आदेश में कहा था कि एजीआर की परिभाषा में गैर-दूरसंचार राजस्व भी शामिल है। दूरसंचार विभाग के अनुमान के अनुसार वोडाफोन आइडिया पर 58,254 करोड़ रुपये और भारती एयरटेल पर 43,980 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है। वोडाफोन आइडिया ने इस मद में 7,854 करोड़ रुपये और भारती एयरटेल ने 18,004 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
लाइसेंस शुल्क तथा अन्य शुल्क के एवज में दी जाने वाली बैंक गारंटी को भी तर्कसंगत बनाकर उसे कम किया गया है। दूरसंचार कंपनियों को अब विभिन्न लाइसेंसी क्षेत्रों में अलग-अलग बैंक गारंटी देने के बजाय एक ही बैंक गारंटी देनी होगी। इसके साथ ही भुगतान में विलंब पर ब्याज दरों को कम किया गया है और जुर्माने को हटाया गया है।
भविष्य में होने वाली स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए किस्तों के भुगतान की सुरक्षा के लिए बैंक गारंटी देने की आवश्यकता को भी अब खत्म कर दिया गया है। कंपनियां भविष्य में अगर स्पेक्ट्रम लेती हैं और बाद में वापस करना चाहे तो 10 साल बाद स्पेक्ट्रम लौटाने की अनुमति होगी।