प्रमुख अमेरिकी कंपनी एनवीडिया ने भारत में एआई कंप्यूटिंग बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ साझेदारी की घोषणा की है। एनवीडिया के संस्थापक एवं सीईओ जेनसेन हुआंग ने कहा कि भारत को चिप बनाने वाले कारखाने स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय ‘विनिर्माण’ पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कहा कि मौजूदा समय भारत के लिए इंटेलिजेंस रिवॉल्यूशन का है। इससे न केवल दुनिया के 8 अरब लोगों के लिए बल्कि भारत के 1.5 अरब लोगों के लिए भी समृद्धि आएगी।
मुंबई में एनवीडिया के एआई शिखर सम्मेलन के दौरान हुआंग से बातचीत में अंबानी ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हम इस नए इंटेलिजेंट दौर के दरवाजे पर खड़े हैं। हमारे जीवनकाल में ही इंटेलिजेंट दौर की शुरुआत में योगदान के लिए वास्तव में आप धन्यवाद के पात्र हैं।’
उन्होंने कहा, ‘भारत दुनिया का एक सबसे बड़ा इंटेलिजेंस बाजार होगा। यह महज हमारी आकांक्षा ही नहीं हैं बल्कि मैं समझता हूं कि भारत की युवा शक्ति इंटेलिजेंस को आगे बढ़ा रही है।’
हुआंग ने कहा कि भारत का आईटी उद्योग न केवल अपने विस्तार बल्कि कंप्यूटर विज्ञान में व्यापक विशेषज्ञता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। उन्होंने भारत को न केवल आईटी केंद्र बल्कि एआई केंद्र के रूप में भी खुद को स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। तीन दिवसीय एनवीडिया एआई शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि एनवीडिया किस प्रकार भारतीय आईटी उद्योग के साथ अपनी भागीदारी को मजबूत कर रही है।
हुआंग ने कहा, ‘भारत को विनिर्माण उद्योग बनने में मदद करने का हमारा सबसे अच्छा तरीका यह है कि पहले एआई का निर्माण किया जाए। दूसरे देश भी अन्य देशों में चिप्स एवं सिस्टम का उत्पादन कर रहे हैं। मगर नई बात यह है कि इस समय कोई भी इंटेलिजेंस का विनिर्माण नहीं करता है। किसी अन्य देश के इस ओर कदम बढ़ाने से पहले भारत को इसमें छलांग लगा देनी चाहिए।’
उन्होंने कहा कि भारत चिप डिजाइनिंग, एआई एवं सिस्टम डिजाइन में पहले से विश्वस्तरीय है और भारत में बौद्धिक संपदा पहले से ही मौजूद है। उन्होंने कहा, ‘पुणे, हैदराबाद और बेंगलूरु के हमारे केंद्र यहां पहले से ही डिजाइनिंग कर रहे हैं। इन सभी केंद्रों में हमारा एआई विकसित हुआ है। करीब एक तिहाई एनवीडिया भारत में ही है। यह भी एक कारण है कि दुनिया के इतने दक्षता केंद्र भारत में क्यों हैं। अब यह देखकर अच्छा लगता है कि भारत विनिर्माण की ओर रुख कर रहा है।’ भारत में एनवीडिया के करीब 10,000 कर्मचारी हैं।
हुआंग ने कहा कि एआई के कारण प्रौद्योगिकी उद्योग जबरदस्त बदलाव के दौर से गुजर रहा है और एंटरप्राइज द्वारा एआई को अपनाने में भारतीय आईटी उद्योग की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने कहा, ‘भारत ने सॉफ्टवेयर का निर्यात किया है और भविष्य में यह एआई का निर्यात करेगा।’
हुआंग ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब छह साल पहले इसकी परिकल्पना की थी। उन्होंने कहा, ‘छह साल पहले प्रधानमंत्री मोदी ने मुझे एआई पर अपने मंत्रिमंडल को संबोधित करने के लिए कहा था। मैं हैरान था क्योंकि किसी सरकार ने पहली बार मुझे ऐसा करने के लिए कहा था। मोदीजी ने कहा कि भारत को अपना एआई खुद बनाना चाहिए, न कि आउटसोर्स करना चाहिए। आपको इंटेलिजेंस आयात करने के लिए डेटा निर्यात नहीं करना चाहिए।’
हुआंग ने कहा कि भारत बड़े पैमाने पर कंप्यूटिंग दक्षता विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। भारत में साल 2024 के अंत तक कंप्यूटिंग दक्षता एक साल पहले के मुकाबले करीब 20 गुना अधिक होगी।
उन्होंने कहा, ‘यहां एआई परिवेश तैयार करने के लिए सबसे पहले बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान देना होगा। हमने यहां बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए योट्टा, ई2ई, टाटा कम्युनिकेशंस और रिलायंस के साथ करार की घोषणा की है।’
एनवीडिया हिंदी में एक बड़ा भाषा मॉडल तैयार करने के लिए सर्वम डॉट एआई, फ्लिपकार्ट, इन्फोसिस, टेक महिंद्रा, कृत्रिम एवं अन्य कंपनियों के साथ काम कर रही है। इसके अलावा वह एआई संचालित डेटा सेंटर तैयार करने के लिए रिलायंस, टाटा समूह और योट्टा जैसी कंपनियों के साथ भी काम कर रही है। एनवीडिया टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), इन्फोसिस, टेक महिंद्रा और विप्रो के साथ मिलकर एंटरप्राइज के बीच एआई को ले जाने के लिए काम कर रही है।