केंद्र सरकार के प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) को विस्तार देने के फैसले से अफोर्डेबल यानी सस्ते मकान वाले सेक्टर को मदद मिलेगी, जिसकी लंबे समय से प्रतीक्षा थी। विशेषज्ञों के मुताबिक अफोर्डेबल आवास खंड कोविड महामारी के समय से ही चुनौतियों का सामना कर रहा है जबकि मध्यम श्रेणी और लक्जरी खंड की मांग में तेजी से इजाफा हुआ है।
एनारॉक के हालिया प्रकाशित आंकड़े के अनुसार अफोर्डेबल मकान के तहत 40 लाख रुपये तक के मकान आते हैं। इस साल जनवरी- मार्च तिमाही में हुई कुल बिक्री में अफोर्डेबल मकानों की हिस्सेदारी 20 फीसदी थी जबकि साल 2019 में इनकी हिस्सेदारी 38 फीसदी थी।
एनारॉक के मुताबिक भारत के सात शीर्ष शहरों में बिकी सभी आवासीय इकाइयों में 2024 की पहली तिमाही में लक्जरी आवास की हिस्सेदारी 21 फीसदी थी, जबकि साल 2019 की इस अवधि में यह महज 7 फीसदी थी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को इस योजना के अंतर्गत तीन करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण व शहरी परिवारों को मकान निर्माण में मदद मुहैया कराने को मंजूरी दी है। रियल एस्टेट डेवलपर सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) लिमिटेड के संस्थापक व चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने बताया, ‘नई योजना से आवास क्षेत्र पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। यह डेवलपरों को सस्ते मकान की परियोजनाओं को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित करेगा। इससे पूरे देश में घरों की उपलब्धता को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा।’
मांग कम होने के कारण डेवलपर अफोर्डेबल खंड में मकानों की आपूर्ति को घटा रहे हैं। इस साल की जनवरी-मार्च तिमाही में कुल लॉन्च किए गए नए मकानों में इस खंड की हिस्सेदारी गिरकर 18 फीसदी हो गई जबकि यह चार वर्ष पहले 44 फीसदी थी।