Real estate institutional capital flows: अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक परिस्थितियों और राजनीतिक अनिश्चितताओं का असर रियल एस्टेट में संस्थागत निवेश पर दिखा और 2025 की पहली छमाही में इस निवेश में गिरावट दर्ज की गई है। निवेश संबंधी निर्णयों की समयसीमा बढ़ाई जा सकती है और ये संभवतः 2026 तक स्थानांतरित हो सकती हैं। हालांकि इन हालात के बाद भी संस्थागत निवेश का प्रदर्शन बहुत बुरा नहीं रहा। संस्थागत निवेश में अब अमेरिका पिछड़ रहा है और एशिया प्रशांत रीजन बढ़त हासिल करने लगा है।
संपत्ति सलाहकार फर्म जेएलएल की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की पहली छमाही में 30 सौदों के जरिए संस्थागत निवेश 306.8 करोड़ डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इसमें साल-दर-साल 37 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। पिछले साल की इसी अवधि में 40 सौदों के माध्यम से 489.3 करोड़ डॉलर का निवेश हुआ था। चुनौतीपूर्ण अंतरराष्ट्रीय आर्थिक स्थितियों और राजनीतिक अनिश्चितताओं के कारण निवेश सुस्त पड़ा है। हालांकि इस मंदी के बावजूद रियल एस्टेट बाजार ने मजबूत प्रदर्शन किया है। यह मंदी एक असाधारण कैलेंडर वर्ष 2024 के बाद आई है, जिसमें निवेश ऐतिहासिक शिखर पर पहुंच गया था, जो 2007 में 8.4 अरब डॉलर के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया था। संस्थागत निवेशकों ने आरईआईटी, क्यूआईपी और सूचीबद्ध संस्थाओं में निवेश सहित सार्वजनिक बाजार चैनलों के माध्यम से भाग लेना जारी रखा।
वर्ष 2025 का सबसे उल्लेखनीय लेनदेन ब्लैक स्टोन का भारत के आवासीय रियल एस्टेट क्षेत्र में रहा। ब्लैकस्टोन ने कोल्टे-पाटिल डेवलपर्स में 66 फीसदी तक हिस्सेदारी हासिल करने के लिए लगभग 21.40 करोड़ डॉलर का निवेश किया।
जेएलएल इंडिया में वरिष्ठ प्रबंध निदेशक और पूंजी बाजार प्रमुख लता पिल्लई ने कहा, “भारत का रियल एस्टेट क्षेत्र घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों तरह के आत्मविश्वास से प्रेरित निवेश गंतव्य बना हुआ है, भले ही वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं ने 2025 की पहली छमाही में अल्पकालिक चुनौतियां पेश की हों। लेकिन 1 अरब डॉलर से अधिक के सौदों की मजबूत पाइपलाइन भविष्य में निरंतर गतिविधि की ओर इशारा करती है। आरईआईटी और संस्थागत खिलाड़ियों की ओर से गतिविधि में उछाल भारतीय रियल एस्टेट निवेश परिदृश्य की परिपक्वता और गहराई को और अधिक उजागर करता है। रियल एस्टेट बाजार ने पिछले पांच वर्षों में 5 अरब अमेरिकी डॉलर की सीमा को पार करते हुए वार्षिक निवेश के साथ लगातार अपनी स्थिरता का प्रदर्शन किया है और हम अनुमान लगाते हैं कि कैलेंडर वर्ष 2025 के लिए पूंजी प्रवाह इन स्थापित मानदंडों के अनुरूप होगा।” भारत में विदेशी संस्थागत पूंजी का दबदबा बना हुआ है। विदेशी निवेशक 68 फीसदी हिस्सेदारी के साथ प्रमुख केंद्र बने हुए हैं।
बीते वर्षों में भारत में संस्थागत निवेश में अमेरिका का दबदबा देखा जाता रहा है। लेकिन अब यह स्थिति में बदलाव आया है। 2023 से अमेरिका और कनाडा में स्थित संस्थानों से निवेश के हिस्से में उल्लेखनीय गिरावट आई है। 2025 की पहली छमाही में एशिया प्रशांत ने 37 फीसदी हिस्सेदारी के साथ बढ़त हासिल की।
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भारत के रियल एस्टेट में संस्थागत निवेश के मामले में भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो आधे से ज्यादा हिस्सा मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (एमएमआर)और बेंगलूरु का है। जेएलएल की इस रिपोर्ट के अनुसार दोनों रीजन ने सामूहिक रूप से 2025 की पहली छमाही के दौरान कुल रियल एस्टेट निवेश का 54 फीसदी हिस्सा हासिल किया, जिससे वे देश में प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित हो गए।
जेएलएल इंडिया में मुख्य अर्थशास्त्री स्यमंतक दास ने कहा कि आवासीय क्षेत्र कुल पूंजी प्रवाह में 38 फीसदी हिस्सेदारी के साथ आगे है, जो ऐतिहासिक कार्यालय क्षेत्र की प्राथमिकता से एक उल्लेखनीय बदलाव दर्शाता है। आवासीय निवेशों के भीतर इक्विटी रणनीतियां 2025 की पहली छमाही में 2025 में पूंजी प्रवाह का 58 फीसदी हिस्से पर नियंत्रण रखती। यह बढ़ती इक्विटी प्रतिबद्धता आवासीय परिसंपत्तियों की दीर्घकालिक क्षमता में निवेशकों के विश्वास का संकेत देती है। एमएमआर और बेंगलुरु आवासीय निवेश गतिविधि का नेतृत्व करते हैं।