देश के प्रमुख शहरों में आवासीय परियोजनाओं में ‘लोडिंग’ फैक्टर बढ़ रहा है। इसकी वजह अत्याधुनिक सुविधाओं की बढ़ती मांग है। आवासीय अपार्टमेंट में औसत लोडिंग फैक्टर सुपर-बिल्ट-अप एरिया और कारपेट एरिया के बीच का अंतर होता है। शीर्ष 7 शहरों में से बेंगलूरु ने पिछले 7 वर्षों में औसत लोडिंग में सबसे अधिक वृद्धि देखी है।
बीते कुछ वर्षों में ‘लोडिंग’ फैक्टर में तेजी से इजाफा हुआ है। संपत्ति सलाहकार फर्म एनारॉक समूह के अनुसार 2019 से इस साल की पहली तिमाही की अवधि में औसत ‘लोडिंग’ फैक्टर 31 फीसदी से बढ़कर 40 फीसदी हो गया है।
एनारॉक समूह के क्षेत्रीय निदेशक और प्रमुख (अनुसंधान एवं सलाह) डॉ. प्रशांत ठाकुर कहते हैं, “RERA में डेवलपर को मकान खरीदने वालों को प्रदान किए गए कुल कारपेट एरिया का उल्लेख करने की आवश्यकता है। हालांकि वर्तमान में कोई भी कानून परियोजनाओं में लोडिंग फैक्टर को सीमित नहीं करता है। 2025 की पहली तिमाही से पता चलता है कि शीर्ष 7 शहरों में मकान खरीदार अपने अपार्टमेंट के कुल स्थान का 60 फीसदी अब रहने योग्य स्थान के लिए भुगतान करते हैं और शेष 40 फीसदी सामान्य क्षेत्र जैसे लिफ्ट, लॉबी, सीढ़ियां, क्लब हाउस, सुविधाएं, छतें और इसी तरह की अन्य सुविधाओं के लिए भुगतान करते हैं। 2019 में औसत लोडिंग फैक्टर 31 फीसदी था।”
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देश के 7 प्रमुख शहरों में सबसे अधिक ‘लोडिंग’ फैक्टर मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (एमएमआर) में दर्ज किया गया है। एनारॉक के मुताबिक 7 प्रमुख शहरों में 2025 की पहली तिमाही में एमएमआर में सबसे अधिक 43 फीसदी ‘लोडिंग’ फैक्टर दर्ज किया गया। एमएमआर में 2019 में यह फैक्टर 33 फीसदी था। बेंगलूरु में कुल लोडिंग फैक्टर में सबसे अधिक वृद्धि हुई है। 2019 में यह फैक्टर 30 फीसदी था, जो 2025 की पहली तिमाही में बढ़कर 41 फीसदी हो गया। यह बढ़ोतरी आधुनिक सुविधाओं की बढ़ती चाहत के साथ मेल खाता है। जिसे डेवलपर अब आईटी हब में उच्च जीवन शैली की मांग को पूरा करने के लिए शामिल करते हैं।
दूसरी ओर चेन्नई में 2025 की पहली तिमाही में औसत लोडिंग फैक्टर में सबसे कम वृद्धि दर्ज की गई, जहां मकान खरीदने वाले आम क्षेत्रों के बजाय अपने घरों के भीतर उपयोग करने योग्य स्थान के लिए अधिक भुगतान करना पसंद करते हैं। 2019 में चेन्नई का औसत लोडिंग प्रतिशत बेंगलूरु की तरह 30 फीसदी था। यह धीरे-धीरे बढ़कर 2025 की पहली तिमाही में 36 फीसदी हो गया, जबकि इसी अवधि में बेंगलूरु में सबसे तेज वृद्धि के साथ यह 41 फीसदी हो गया। 2019 से 2025 की पहली तिमाही की अवधि में औसत लोडिंग फैक्टर एनसीआर में 31 से बढ़कर 41 फीसदी, पुणे में 32 से बढ़कर 40 फीसदी, हैदराबाद में 30 से बढ़कर 38 फीसदी और कोलकाता में इसी अवधि में यह 30 से बढ़कर 39 फीसदी हो गया।
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ठाकुर कहते हैं कि अतीत में 30 फीसदी या इससे कम लोडिंग फैक्टर को सामान्य माना जाता था। लेकिन आज ज्यादातर परियोजनाओं में ज़्यादा सुविधा आम बात हो गई है क्योंकि मकान खरीदने वाले अब बुनियादी जीवनशैली सुविधाओं से संतुष्ट नहीं हैं और वे फिटनेस सेंटर, क्लबहाउस, पार्क जैसे बगीचे और भव्य लॉबी की अपेक्षा करते हैं। सामूहिक रूप से ये सुविधाएं आराम, सामुदायिक रहने की क्षमता और मकान को दुबारा बेचने पर उसकी अधिक कीमत दिला सकती है। हालांकि मकान खरीदने वालों को ज्यादा लोडिंग फैक्टर के कारण अपार्टमेंट के भीतर वास्तविक उपयोग योग्य स्थान कम मिलता है। आधुनिक आवास परियोजनाओं में अनिवार्य बुनियादी ढांचे में अब आम तौर पर अधिक क्षमता वाली लिफ्ट और आग से बचने के रास्ते शामिल हैं, जो सुरक्षा प्रोटोकॉल को पूरा करते हैं।
Loading in Top 7 Cities (%) | |||
City | 2019 | 2022 | Q1 2025 |
NCR | 31 | 37 | 41 |
MMR | 33 | 39 | 43 |
Bangalore | 30 | 35 | 41 |
Pune | 32 | 36 | 40 |
Hyderabad | 30 | 33 | 38 |
Chennai | 30 | 32 | 36 |
Kolkata | 30 | 35 | 39 |
Total | 31 | 35 | 40 |
Source: ANAROCK Research & Advisory