केंद्र सरकार को उम्मीद है कि गैर वित्तीय सरकारी उद्यमों (पीएसयू) से लाभांश का लक्ष्य इस साल हासिल नहीं हो पाएगा। पीएसयू लाभांश में तेल व गैस कंपनियों की बड़ी हिस्सेदारी होती है। अधिकारियों ने कहा कि तेल कंपनियां पहले के वर्षों की तरह लाभांश नहीं दे सकेंगी, क्योंकि कच्चे तेल की कीमतें उन पर बुरा असर डाल रही हैं।
बजट में पीएसयू से 40,000 करोड़ रुपये लाभांश मिलने का अनुमान था। अब तक केंद्र को 15,766 करोड़ रुपये मिले हैं। अब तक मिला धन ठीक ठाक होने के बावजूद इस मद में लक्ष्य से कम धन मिलने की उम्मीद है।
एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘कच्चे तेल की कीमत ज्यादा होने की वजह से तेल विपणन कंपनियां भारी घाटे का सामना कर रही हैं। सरकारी तेल एवं गैस उत्पादन कंपनियों को कीमत से लाभ हो रहा है, लेकिन वे अप्रत्याशित लाभ कर दे रही हैं। ऐसे में उनसे मोटे लाभांश की उम्मीद कम है।’
अधिकारी ने कहा, ‘हम पीएसयू से मिलने वाले लाभांश में कमी आने की उम्मीद कर रहे हैं।’ हालांकि उन्होंने कहा कि गिरावट कितनी होगी, इसके बारे में अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।
ईवाई इंडिया में मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने कहा, ‘पीएसयू पर वैश्विक असर होता है। आपूर्ति को लेकर कई तरह के व्यवधान हैं। ऐसे में बड़े लाभांश के बारे में सोचना वास्तविकता से परे है।’
गैर कर प्राप्तियों और पूंजी प्राप्तियों में अन्य बड़ा हिस्सा सरकारी बैंकों से आता है। उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक, सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से उम्मीद से कम धन मिलेगा। इसकी वजह है कि रिजर्व बैंक ने मार्च 2022 को समाप्त वित्त वर्ष में लाभांश के रूप में 30,307 करोड़ रुपये दिए थे, जिसकी गणना केंद्र के इस वित्त वर्ष में नजर आएगी। यह उम्मीद से बहुत कम है। रिजर्व बैंक ने पिछले साल 99,122 करोड़ रुपये लाभांश दिया था, जिसकी वजह से इस मद में वित्त वर्ष 22 के बजट अनुमान की तुलना में उल्लेखनीय रूप से ज्यादा धन आया था।
साल के लिए कुल गैर कर राजस्व का लक्ष्य 2.69 लाख करोड़ रुपये है, जो वित्त वर्ष 22 के संशोधित अनुमान में 3.14 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 22 के बजट अनुमान में 2.43 लाख करोड़ रुपये था।
विनिवेश के बारे में अधिकारियों का कहना है कि वित्त वर्ष 23 के बजट अनुमान में रखा गया 65,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा हासिल किए जाने योग्य है, अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चलता है। निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांत पांडेय उम्मीदों को पूरा करने की दिशा में काम कर रहे हैं। पांडेय ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा था कि यह लक्ष्य रूस द्वारा यूक्रेन में हस्तक्षेप के एक महीने पहले रखा गया था।