UltraTech buys India Cements: कुमार मंगलम बिड़ला की कंपनी अल्ट्राटेक सीमेंट (UntraTech Cement) द्वारा इंडिया सीमेंट्स के अधिग्रहण की खबर मीडिया में आने से पहले रविवार की सुबह इंडिया सीमेंट्स के प्रबंध निदेशक नारायणस्वामी श्रीनिवासन ने अपने कर्मचारियों को एक भावुक विदाई भाषण दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रतिस्पर्धियों द्वारा शुरू की गई कीमत की जंग इंडिया सीमेंट्स को बरबाद कर सकती है। मगर इस वित्तीय संकट से उबरने के लिए अपना भूखंड न बेच पाने के कारण भी हिस्सेदारी बेचने का निर्णय लेना पड़ा।
चुनिंदा 300 कर्मचारियों को संबोधित करते हुए 79 वर्षीय दिग्गज कारोबारी संभवत: सीमेंट उद्योग में अपने 55 साल के कार्यकाल को अलविदा कहना चाह रहे थे। उन्होंने अपने लंबे कार्यकाल के दौरान कई उतार-चढ़ाव भी देखे हैं। मगर उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि इंडिया सीमेंट्स में किसी को भी डरने या असुरक्षित महसूस करने की कोई जरूरत नहीं है।
श्रीनिवासन ने कहा, ‘मैं इंडिया सीमेंट से अलविदा लेता हूं। इसका कारण यह है कि हमारे प्रतिस्पर्धी कम कीमतों के साथ हमें मात दे सकते हैं। उत्पादन लागत अपेक्षाकृत अधिक होने के कारण हमने अपनी लागत को कम करने की हरसंभव कोशिश की।’
तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले के रहने वाले एसएनएन शंकरलिंगा अय्यर और टीएस नारायणस्वामी (श्रीनिवासन के पिता) ने 1946 में इंडिया सीमेंट्स की स्थापना की थी। यह आजादी के तुरंत बाद सार्वजनिक निर्गम लाने वाली भारत की पहली कंपनी बन गई। मगर 1969 में अपने पिता के निधन के कारण निवासन को करीब 20 साल की उम्र में ही संयुक्त प्रबंध निदेशक के रूप में कंपनी की कमान संभालनी पड़ी थी।
बाद में 1979 में कंपनी के दूसरे संस्थापक के बेटे एवं तत्कालीन प्रबंध निदेशक केएस नारायणन के साथ लड़ाई के कारण श्रीनिवासन को कंपनी के प्रबंध निदेशक पद से हटना पड़ा। इस बीच उन्होंने कंपनी के अधिग्रहण के लिए आईटीसी द्वारा किए गए प्रयास को भ्ज्ञी कथित तौर पर विफल कर दिया। दोनों पक्षों के बीच लंबी लड़ाई के बाद 1989 में श्रीनिवासन बतौर प्रबंध निदेशक कंपनी में वापस आ गए। नारायणन के बेटे और सनमार समूह के चेयरमैन एन शंकर को कंपनी का गैर-कार्यकारी चेयरमैन बनाया गया।
बाद में 1990 में कुडप्पा में कोरोमंडल सीमेंट के कारखाने का अधिग्रहण करते हुए इंडिया सीमेंट्स दक्षिण भारत की सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी बन गई। उसने 1998 में रासी सीमेंट्स को खरीदा जो भारत में इस क्षेत्र का पहला आक्रामक अधिग्रहण था।
क्रिकेट के प्रति श्रीनिवासन का लगाव भी जगजाहिर है। उन्होंने चेन्नई सुपर किंग्स की शुरुआत की और बीसीसीआई के अध्यक्ष एवं आईसीसी के चेयरमैन भी रहे।
बहाहाल, हाल में भारी वित्तीय दबाव से जूझती कंपनी अपने पास मौजूद जमीन पर ही निर्भर हो गई। कंपनी के पास आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में करीब 26,000 एकड़ जमीन है। उसने अपनी अतिरिक्त जमीन बेचकर ऋण बोझ घटाने और पूंजीगत व्यय के लिए रकम जुटाने की योजना बनाई।
इंडिया सीमेंट्स के प्रबंध निदेशक एन श्रीनिवासन ने कहा, ‘हमने लागत कम करने के लिए सभी उपाय किए और अपनी जमीन का एक बड़ा हिस्सा खरीदने के लिए एक निवेशक से बातचीत भी की। मगर सौदा नहीं हो सका। इसलिए हमें उसी समाधान पर लौटना पड़ा जिस पर हमने पहले विचार किया था। आखिरकार हमें कंपनी को बेचने का निर्णय लेना पड़ा।’ सूत्रों के अनुसार, कंपनी का कुल ऋण बोझ करीब 2,500 करोड़ रुपये है।
श्रीनिवासन ने कहा कि उन्होंने कंपनी में कर्मचारियों के भविष्य के बारे में व्यक्तिगत तौर पर बिड़ला से चर्चा की है। उन्होंने कहा, ‘इंडिया सीमेंट्स में किसी को भी डरने या असुरक्षित महसूस करने की जरूरत नहीं है। भविष्य अब भी उतना ही मजबूत है जितना मेरे नेतृत्व में था। आप सीमेंट कारोबार के बुनियादी घटक हैं। आपको इस विश्वास के साथ काम करना चाहिए कि सब कुछ पहले जैसा ही रहेगा। आपको शुभकामनाएं।’