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बढ़ सकता है साधारण बीमा कंपनियों के मुनाफे पर दबाव

Last Updated- December 06, 2022 | 1:00 AM IST

नई कंपनियों के आने से जबर्दस्त बढ़ती प्रतिस्पध्र्दा, टैरिफ इंश्योरेंस से मूल्य नियंत्रण हटने और शेयर बाजार से मिलने वाले प्रतिफल में होने वाली कमी से घरेलू गैर-जीवन बीमा कंपनियों के मूल्यन और अल्पावधि की लाभोत्पदकता दबाव में रहेगी।


रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर सर्विस और आईसीआरए लिमिटेउ द्वारा जारी की गई विस्तृत अध्ययन की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।इन दोनों एजेंसियों ने कहा है कि उन्हें भारत में साधारण बीमा कंपनियों का आउटलुक स्थिर लगता है। यह इस क्षेत्र के अगले 12 से 18 महीनों के स्थायी मूलभूत ऋण परिस्थितियों अनुमानों पर आधारित है।


मूडीज और आईसीआरए ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2008 में भारतीय अर्थव्यस्था की 7.5 प्रतिशत की वृध्दि की भविष्यवाणी और बढ़ते आय स्तर तथा बीमितों में उच्च जोखिम के प्रति जागरुकता से देश के बीमाकर्ता अपने उत्पादों की मांग को लेकर उत्साहित हैं। हालांकि, इस क्षेत्र की नई कंपनियों से मिल रही प्रतिस्पध्र्दा, विनियमन और इक्विटी बाजार से मिलने वाले अपेक्षाकृत प्रतिफल से मूल्यन और अंतत: अल्पावधि की लाभोत्पदाकता पर दबाव बनेगा।


‘मेजर चेंजेज उक्सपेक्टेड ऐज डिरेगुलेशन कंटीन्यूज’ नामक इस रिपोर्ट के लेखक मूडीज के वाइस प्रेसिडेंट और वरिष्ठ विश्लेषक विंग च्यू, आईसीआरए के वरिष्ठ वाइस प्रेसिडेंट सुब्रत रे और आईसीआरए के विश्लेषक रोहित गुप्ता हैं।


मूडीज और आईसीआरए ने भारतीय जायदाद और आकस्मिक घटनाओं के बीमा क्षेत्र को परखा और निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों के अंतरराष्ट्रीय मानकों की तरफ बढ़ते कदमों, वित्तीय अवस्थाओं, नियमन, मूल्यन और वितरण में हुए बदलावों पर नजर डाला। प्रीमियम की दृष्टि से भारत का स्थान एशिया में जापान, कोरिया, चीन और ताइवान के बाद पांचवां हैं।


रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारतीय बीमा क्षेत्र तेजी से खुले (जोखिम आधारित) बाजार मूल्यन और नयेअभिनव उत्पादों के पेशकश के अंतरराष्ट्रीय मानकों की ओर अग्रसर हो रहा है। पिछले सात वर्षों में बड़े बदलाव हुए हैं, इस अवधि में बीमा क्षेत्र को निजी प्रतिभागियों के लिए खोला गया।


एक तरफ नये उत्पादों का मिश्रण, डिलीवरी की नई प्रणाली और जोखिम के प्रति बढ़ती जागरुकता है वहीं दूसरी तरफ प्रतिस्पध्र्दा भी बढ़ती जाएगी। निजी क्षेत्र के बीमाकर्ता और वैसी बीमा कंपनियां जो भारत में अपने कदम रखने वाली हैं और बाजार में हिस्सेदारी पाना चाहती हैं, को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के साथ जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा करनी होगी।’ 

First Published - April 30, 2008 | 11:14 PM IST

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