इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (ईआईएल) पारंपरिक परमाणु क्षेत्र के साथ-साथ छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) जैसे परमाणु ऊर्जा कारोबार में प्रवेश के लिए कई अंतरराष्ट्रीय हितधारकों के साथ चर्चा कर रही है। यह जानकारी ईआईएल की चेयरपर्सन और प्रबंध निदेशक वर्तिका शुक्ला ने दी है। यह प्रमुख इंजीनियरिंग, खरीद और परामर्श (ईपीसी) कंपनी संयुक्त अरब अमीरात से ऑर्डरों में दमदार वृद्धि देखने के बाद अब वहां जोरशोर से काम कर रही है।
बुधवार को यहां चल रहे इंडिया एनर्जी वीक के दौरान अलग से बात करते हुए शुक्ला ने कहा कि कंपनी परमाणु क्षेत्र में प्रवेश के लिए अपनी रणनीति पर नजर रख रही है। उन्होंने कहा, ‘पहुंच बढ़ाने के लिहाज से यह (परमाणु) एक कठिन क्षेत्र है। हमने कुडनकुलम संयंत्र में काम किया है। हम न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के गोरखपुर संयंत्र में भी कुछ छोटे-मोटे काम कर रहे हैं। हमने परमाणु क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए छोटे कदम उठाए हैं। हम देखेंगे कि आगे इसे कैसे बढ़ाया जाए। मगर हमारी आकांक्षाएं जरूर पूरी होंगी क्योंकि हम कई मोर्चों पर बातचीत कर रहे हैं।’
भारत छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में प्रवेश करना चाहता है, जो उन्नत परमाणु रिएक्टर होते हैं और 300 मेगावॉट (ई) तक ऊर्जा तैयार करते हैं। फिलहाल भारत ने इसके लिए अमेरिका और फ्रांस से संपर्क किया है। शुक्ला ने बताया कि चालू वित्त वर्ष वर्ष में ईआईएल ने अबू धाबी नैशनल ऑयल कंपनी (एडनॉक) से 190 करोड़ रुपये का ऑर्डर हासिल किया है और यह वित्त वर्ष 2024 के 140 करोड़ रुपये से अधिक है। कंपनी सऊदी अरब में भी यही प्रदर्शन दोहराना चाहती है और उसकी वहां की राष्ट्रीय तेल कंपनी अरामको पर नजर है। शुक्ला ने कहा, ‘फिलहाल हम रिफाइनिंग, पेट्रोकेमिकल, ऑफशोर सहित अरामको के साथ सभी क्षेत्रों में सूचीबद्ध हैं। हम देखेंगे कि हम उनके साथ कैसे काम कर सकते हैं।’
ईआईएल मंगलूरु में सख्त ग्रेफाइट गुफाओं के भीतर एचपीसीएल के लिए विशाल एलपीजी भंडारण केंद्रों का भी निर्माण कर रही है। इसकी योजना 850 से 900 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली एलपीजी भंडारण केंद्र को वित्त वर्ष 2026 तक चालू करने की है। यह गुफाएं 160 मीटर गहराई पर हैं और इनमें 80,000 टन तक एलपीजी भंडारण की क्षमता है। ईआईएल बीकानेर और उसके आसपास खारे गुफाओं की क्षमता निर्धारित करने के लिए एक व्यवहार्यता रिपोर्ट बना रही है, जिसके कच्चे तेल की भंडारण इकाइयों में तब्दील करने की योजना है।